परिचय और स्थान
मार्तण्ड सूर्य मंदिर भारत के जम्मू और कश्मीर (केंद्र शासित प्रदेश) की कश्मीर घाटी में अनंतनाग शहर के पास स्थित है। यह मंदिर, जो सूर्य देवता को समर्पित है, भारतीय इतिहास और संस्कृति में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मार्तण्ड सूर्य मंदिर का भौगोलिक स्थान इसे एक अद्वितीय धरोहर बनाता है, जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि वास्तुकला और पुरातत्व के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मंदिर का सटीक स्थान अनंतनाग जिले के मार्तण्ड गाँव में है, जो अनंतनाग शहर से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र पहाड़ों से घिरा हुआ है और इसके चारों ओर हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्वितीय संगम है। कश्मीर घाटी की इस रमणीय जगह पर स्थित मार्तण्ड सूर्य मंदिर पर्यटकों और इतिहासकारों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।
वहाँ पहुँचने के लिए, सबसे नजदीकी हवाई अड्डा श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो अनंतनाग से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अन्य विकल्पों में रेलमार्ग और सड़क मार्ग शामिल हैं। अनंतनाग रेलवे स्टेशन से मार्तण्ड सूर्य मंदिर तक पहुँचने के लिए टैक्सी या बस सेवाओं का उपयोग किया जा सकता है। सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले लोग जम्मू या श्रीनगर से बस या निजी वाहन के माध्यम से अनंतनाग पहुँच सकते हैं।
मार्तण्ड सूर्य मंदिर की स्थलाकृति और उसके आसपास का क्षेत्र इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाते हैं। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करता है और उन्हें एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। मंदिर के परिसर में प्रवेश करते ही, एक अद्वितीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिदृश्य सामने आता है, जो आगंतुकों को प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति की झलक दिखाता है।
मार्तण्ड सूर्य मंदिर
मार्तण्ड सूर्य मंदिर का प्रांगण 220 फुट x 142 फुट है। यह मंदिर 60 फुट लम्बा और 38 फुट चौड़ा था। इस के चतुर्दिक लगभग 80 प्रकोष्ठों के अवशेष वर्तमान में हैं। इस मन्दिर के पूर्वी किनारे पर मुख्य प्रवेश द्वार का मंडप है। इसके द्वारों पर त्रिपार्श्वित चाप (मेहराब) थे, जो इस मंदिर की वास्तुकला की विशेषता है। द्वारमंडप तथा मंदिर के स्तम्भों की वास्तु-शैली रोम की डोरिक शैली से कुछ अंशों में मिलती-जुलती है। मार्तण्ड मंदिर अपनी वास्तुकला के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर कश्मीरी हिंदू राजाओं की स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है। कश्मीर का यह मंदिर वहाँ की निर्माण शैली को व्यक्त करता है। इसके स्तंभों में ग्रीक संरचना का इस्तेमाल भी करा गया है।
इतिहास और वास्तुकला
मार्तण्ड सूर्य मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में कर्कोटा वंश के राजा ललितादित्य मुक्तपीड ने करवाया था। यह मंदिर कश्मीर घाटी की प्राचीन वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है और इसे उस समय की उन्नत शिल्पकला और स्थापत्य कौशल का प्रतीक माना जाता है। मंदिर का निर्माण स्थल अनंतनाग जिले में स्थित है, जो प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है और इसे एक पवित्र स्थल माना जाता है।
मार्तण्ड सूर्य मंदिर की वास्तुकला शैली अद्वितीय और प्रभावशाली है। यह मंदिर एक ऊँचे मंच पर स्थित है और इसका मुख्य गर्भगृह एक विशाल मंडप से सुसज्जित है। मंदिर की दीवारें और स्तंभों पर नक्काशी की गई हैं, जो उस समय के शिल्पकारों की उच्चतम कला को दर्शाती हैं। मंदिर के चारों ओर एक विशाल प्रांगण है, जिसे बड़े-बड़े पत्थरों से निर्मित किया गया है।
इस मंदिर की एक विशेषता इसकी सूर्य देवता को समर्पित होने के कारण है। मार्तण्ड सूर्य मंदिर के गर्भगृह में सूर्य देवता की प्रतिमा स्थापित थी, जो अब समय के साथ क्षतिग्रस्त हो चुकी है। मंदिर के चारों ओर स्तंभों की कतारें हैं, जो गर्भगृह को एक विशेष प्रभाव प्रदान करती हैं। इन स्तंभों की नक्काशी में विभिन्न देवी-देवताओं, पशु-पक्षियों और अन्य धार्मिक प्रतीकों का चित्रण किया गया है।
मार्तण्ड सूर्य मंदिर की वास्तुकला शैली की तुलना यदि हम अन्य प्रसिद्ध भारतीय मंदिरों से करें, तो यह स्पष्ट होता है कि यह मंदिर न केवल कश्मीर घाटी में बल्कि पूरे भारत में अपने आप में अद्वितीय है। इसके निर्माण में उपयोग किए गए पत्थरों की गुणवत्ता और उनकी नक्काशी की बारीकी इस बात का प्रमाण है कि मंदिर का निर्माण अत्यंत ध्यान और श्रमपूर्वक किया गया था। इस प्रकार, मार्तण्ड सूर्य मंदिर कश्मीर की प्राचीन धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
15वीं शताब्दी की शुरुआत में मुस्लिम शासक सिकंदर बुतशिकन के आदेश पर मंदिर को एक साल तक ध्वस्त करके पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था।
इमारत का वह हिस्सा जिसे अब मार्तंड के नाम से जाना जाता है, एक ऊंची केंद्रीय इमारत है, जिसके प्रवेश द्वार के दोनों ओर एक छोटा सा अलग-अलग भाग है, पूरा भवन एक बड़े चतुर्भुज में खड़ा है, जिसके चारों ओर घुमावदार खंभों की एक पंक्ति है, जिसके बीच में तिहरे आकार के खांचे हैं। दीवार के बाहरी हिस्से की लंबाई, जो खाली है, लगभग 90 गज है; सामने की तरफ की लंबाई लगभग 56 गज है। इसमें चौरासी स्तंभ हैं – सूर्य के मंदिर में एक विलक्षण उपयुक्त संख्या, यदि जैसा कि माना जाता है, चौरासी की संख्या हिंदुओं द्वारा पवित्र मानी जाती है क्योंकि यह राशि चक्र में राशियों की संख्या के साथ सप्ताह में दिनों की संख्या का गुणक है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मार्तण्ड सूर्य मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मंदिर सूर्य देवता की पूजा का प्रमुख केंद्र रहा है और अनेकों धार्मिक अनुष्ठानों का स्थल है। कश्मीर घाटी में स्थित इस मंदिर की स्थापत्य कला और धार्मिक पृष्ठभूमि इसे विशेष बनाती है। प्राचीन काल से ही सूर्य उपासना का महत्वपूर्ण केंद्र होने के कारण, यह मंदिर हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
मार्तण्ड सूर्य मंदिर में अनेक पर्व और अनुष्ठान आयोजित होते रहे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से मकर संक्रांति, रथ सप्तमी और छठ पर्व शामिल हैं। इन विशेष अवसरों पर भक्तजन बड़ी संख्या में मंदिर परिसर में एकत्रित होते हैं और विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। सूर्य देवता की आराधना का यह स्थल न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। इन पर्वों के दौरान मंदिर में विशेष हवन, यज्ञ और भजन-संकीर्तन का आयोजन होता है, जो भक्ति और आस्था का वातावरण निर्मित करता है।
धार्मिक दृष्टिकोण के अलावा, मार्तण्ड सूर्य मंदिर का सांस्कृतिक महत्व भी अप्रतिम है। यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला और मूर्तिकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके भव्य निर्माण और सुन्दर नक्काशी से यह स्पष्ट होता है कि प्राचीन काल में कला और संस्कृति का कितना उच्च स्थान था। मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी में विभिन्न देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं का चित्रण मिलता है, जो तत्कालीन समाज और संस्कृति की जानकारी प्रदान करता है।
इस प्रकार, मार्तण्ड सूर्य मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है, जो हमें हमारे अतीत की झलक दिखाता है।
वर्तमान स्थिति और संरक्षण प्रयास
मार्तण्ड सूर्य मंदिर, जो कश्मीर घाटी का एक प्राचीन धरोहर है, वर्तमान में खंडहर अवस्था में है। इसके भव्य स्थापत्य और ऐतिहासिक महत्व के बावजूद, समय के साथ इसके कई हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। मंदिर की संरचना अब भी अपनी उत्कृष्टता की गवाही देती है, लेकिन यह संरचना अधिक समय तक बिना संरक्षण के बरकरार नहीं रह सकती।
वर्तमान स्थिति में, मार्तण्ड सूर्य मंदिर के कई हिस्से गिर चुके हैं। हालांकि, इसके कुछ हिस्से अभी भी खड़े हैं और इसके स्थापत्य कला की झलक प्रस्तुत करते हैं। यह मंदिर स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। लेकिन यह आवश्यक है कि इस धरोहर को संरक्षित करने के लिए गंभीर प्रयास किए जाएं।
संरक्षण के प्रयासों के तहत, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस मंदिर को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया है। इसके तहत, मंदिर की सुरक्षा और संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाएं बनाई गई हैं। ASI ने मंदिर के संरक्षण के लिए नियमित रूप से निरीक्षण और मरम्मत कार्य करवाए हैं, ताकि इसे संरक्षित रखा जा सके। इसके अतिरिक्त, स्थानीय प्रशासन और विभिन्न गैर-सरकारी संगठन भी इस प्राचीन धरोहर को बचाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।
भविष्य में मार्तण्ड सूर्य मंदिर को सुरक्षित रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है। पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मंदिर के आसपास के पर्यावरण को संरक्षित किया जाए। इसके अलावा, स्थानीय समुदाय को इस धरोहर की महत्ता के बारे में जागरूक करना और उन्हें इसके संरक्षण में शामिल करना भी बेहद आवश्यक है। आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके मंदिर की संरचना को मजबूत करना और इसके ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित करना भी महत्वपूर्ण है।
इस प्रकार, मार्तण्ड सूर्य मंदिर का संरक्षण न केवल इसके स्थापत्य महत्व को बनाए रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह कश्मीर घाटी की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है।