रामचरितमानस – मंगल भवन अमंगल हारी – अर्थ सहित

मंगल भवन अमंगल हारी

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रामचरितमानस का जाप कैसे करें? यदि आप जीवन संघर्षमय बीत रहा है. या आपको किसी कार्य में बार-बार समस्या उत्पन्न हो रही है.

तो हर दिन सुबह पीले या फिर लाल रंग के उनी आसन पर बैठकर तुलसी की माला से रामचरित मानस के चौपाई का कम से कम 108 बार जाप करें. आप नीचे दिए गए मंत्रों में अपनी मनोकामना के हिसाब से जाप कर सकते हैं.

रामचरितमानस – मंगल भवन अमंगल हारी

मंगल भवन अमंगल हारी
द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

अर्थ : जो मंगल करने वाले और अमंगल हो दूर करने वाले है , वो दशरथ नंदन श्री राम है वो मुझपर अपनी कृपा करे।

हो, होइहै वही जो राम रचि राखा
को करे तरफ़ बढ़ाए साखा

अर्थ : जो भगवान श्री राम ने पहले से ही रच रखा है ,वही होगा | हम्हारे कुछ करने से वो बदल नही सकता।

हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी

अर्थ : बुरे समय में यह चार चीजे हमेशा परखी जाती है , धैर्य , मित्र , पत्नी और धर्म।

हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू

अर्थ : सत्य को कोई छिपा नही सकता , सत्य का सूर्य उदय जरुर होता है।

हो, जाकी रही भावना जैसी
रघु मूरति देखी तिन तैसी

अर्थ : जिनकी जैसी प्रभु के लिए भावना है उन्हें प्रभु उसकी रूप में दिखाई देते है।

रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

अर्थ : रघुकुल परम्परा में हमेशा वचनों को प्राणों से ज्यादा महत्व दिया गया है।

हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

अर्थ : प्रभु श्री राम भी अंनत हो और उनकी कीर्ति भी अपरम्पार है ,इसका कोई अंत नही है। बहुत सारे संतो ने प्रभु की कीर्ति का अलग अलग वर्णन किया है।

मंगल भवन अमंगल हारी
द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम


प्रश्नोत्तर

१. मंगल भवन अमंगल हारी चौपाई का अर्थ क्या होता है?

अर्थ : जो मंगल करने वाले और अमंगल हो दूर करने वाले है , वो दशरथ नंदन श्री राम है वो मुझपर अपनी कृपा करे

२. 
अजिर यानि आँगन व बिहारी मतलब विहरने वाला या घूमने वाला। तो द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी का अर्थ है – बाल रूप में दशरथ के आँगन मे विचरण करने वाले हे श्री राम, हम पर प्रसन्न हों।
दोहा: चरित्र कर गौरीशा, नव धाम की सम्पदा देशा। चौपाई: रामचन्द्र कृपालु भज मन हरण भवभय दारुणं नवकंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणाम्

संपूर्ण : रामचरितमानस

 

श्री रामजन्मभूमी अयोध्या 

श्री राम जन्म-भूमि तीर्थ क्षेत्र – अयोध्या

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