कब से शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि?

कब से शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि

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शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला पर्व है, जो देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और आराधना के लिए जाना जाता है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है, लेकिन चैत और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि का पर्व हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। आइए जानते हैं इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की तारीख, शुभ मुहूर्त और समापन की पूरी जानकारी।

शारदीय नवरात्रि 2024 की तारीखें

इस साल शारदीय नवरात्रि 11 अक्टूबर 2024 से शुरू होकर 19 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगी। नवरात्रि का हर दिन देवी के एक अलग रूप को समर्पित होता है और भक्तजन पूरी श्रद्धा के साथ देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं।

शारदीय नवरात्रि 2024 का शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना या कलश स्थापना की जाती है। सही तरीके से कलश स्थापना करने से पूरे नौ दिन तक माता दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:

  • कलश स्थापना की तारीख: 11 अक्टूबर 2024
  • कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: सुबह 06:15 बजे से 07:45 बजे तक

यदि किसी कारणवश इस समय पर कलश स्थापना नहीं कर पाते, तो अभिजीत मुहूर्त में भी इसे किया जा सकता है, जो दिन के मध्य समय के आसपास होता है।

शारदीय नवरात्रि का प्रतिदिन का विवरण

नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यहां प्रत्येक दिन के देवी स्वरूप का विवरण दिया गया है:

  1. पहला दिन (प्रतिपदा): माँ शैलपुत्री की पूजा
  2. दूसरा दिन (द्वितीया): माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
  3. तीसरा दिन (तृतीया): माँ चंद्रघंटा की पूजा
  4. चौथा दिन (चतुर्थी): माँ कूष्मांडा की पूजा
  5. पाँचवाँ दिन (पंचमी): माँ स्कंदमाता की पूजा
  6. छठा दिन (षष्ठी): माँ कात्यायनी की पूजा
  7. सातवाँ दिन (सप्तमी): माँ कालरात्रि की पूजा
  8. आठवाँ दिन (अष्टमी): माँ महागौरी की पूजा
  9. नौवाँ दिन (नवमी): माँ सिद्धिदात्री की पूजा

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शारदीय नवरात्रि का समापन: दशहरा (विजयादशमी)

नवरात्रि का समापन दशमी तिथि को होता है, जिसे विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माँ दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है और भक्तजन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 2024 में, दशहरा 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन रावण दहन भी किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

विशेष ध्यान रखने योग्य बातें

  • नवरात्रि के नौ दिन उपवास और पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। भक्तजन इन दिनों माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हैं।
  • कलश स्थापना के बाद से प्रतिदिन सुबह और शाम देवी की आरती करनी चाहिए।
  • घर में साफ-सफाई और पूजा स्थान की पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

शारदीय नवरात्रि का महत्व

शारदीय नवरात्रि का महत्व

शारदीय नवरात्रि का हिंदू धर्म में बहुत ही विशेष और पवित्र महत्व है। यह पर्व माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है। शारदीय नवरात्रि का आगमन शरद ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है और यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। आइए, जानते हैं शारदीय नवरात्रि के महत्व को विस्तार से:

1. आध्यात्मिक महत्व

शारदीय नवरात्रि आत्मा की शुद्धि और देवी दुर्गा की शक्ति को अपने जीवन में आत्मसात करने का एक अद्भुत अवसर है। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो हमें यह सिखाती है कि जीवन में अलग-अलग चुनौतियों का सामना करने के लिए अलग-अलग गुणों और शक्तियों की आवश्यकता होती है।

  • पहला दिन (शैलपुत्री): जीवन में स्थिरता और आत्मबल का प्रतीक।
  • दूसरा दिन (ब्रह्मचारिणी): तप और साधना का महत्व।
  • तीसरा दिन (चंद्रघंटा): शांति और सौम्यता की शक्ति।
  • नवमी (सिद्धिदात्री): अंततः सिद्धियों और मनोकामनाओं की पूर्ति।

इस प्रकार, नवरात्रि हमें जीवन के हर पहलू में संतुलन और सद्गुणों का पालन करने की प्रेरणा देती है।

2. धार्मिक महत्व

धार्मिक दृष्टिकोण से शारदीय नवरात्रि का पर्व शक्ति की देवी माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों को समर्पित है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था और इस जीत को ही शक्ति की सर्वोच्चता का संकेत माना जाता है। नवरात्रि के दौरान किए गए व्रत, उपवास और पूजन से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

3. सांस्कृतिक महत्व

नवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक जीवन का भी अभिन्न हिस्सा है। इन नौ दिनों में जगह-जगह पर गरबा और डांडिया जैसे नृत्य का आयोजन होता है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को दर्शाता है। लोग नए वस्त्र पहनते हैं, देवी की झांकियां सजाते हैं और उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हैं। इसके माध्यम से वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को जीवंत बनाए रखते हैं।

4. आर्थिक और सामाजिक महत्व

शारदीय नवरात्रि का समय आर्थिक गतिविधियों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। इस समय लोग नए वस्त्र, आभूषण, और अन्य वस्तुएं खरीदते हैं। व्यापारियों के लिए यह समय बहुत ही फायदेमंद होता है क्योंकि इस दौरान बाजारों में रौनक बनी रहती है। इसके अलावा, नवरात्रि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस समय लोग अपने रिश्तेदारों और मित्रों से मिलते हैं, साथ में पूजा करते हैं और अपने जीवन में सौहार्द और मेलजोल की भावना को बढ़ावा देते हैं।

5. स्वास्थ्य और उपवास का महत्व

नवरात्रि का उपवास भी स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। नवरात्रि के दौरान सात्विक भोजन और उपवास करने से शरीर का शुद्धिकरण होता है। इन दिनों में हल्का और शाकाहारी भोजन करने से शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है और मन की शांति भी प्राप्त होती है।


शारदीय नवरात्रि का पर्व माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का उत्तम समय है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा कर भक्तजन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इस साल नवरात्रि 11 अक्टूबर से शुरू होकर 19 अक्टूबर को समाप्त होगी, और 20 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।

इस पवित्र पर्व पर पूरे श्रद्धा भाव से माँ दुर्गा की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय बनाएं।

आप सभी को शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!

 

सरस्वती साधना

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