गीता जयंती 2025: मोक्ष शास्त्र का महोत्सव – आज ही का पावन दिवस
आज, 1 दिसंबर 2025 को मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के साथ गीता जयंती का पुनीत पर्व आरंभ हो चुका है।
हर वर्ष मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मनाया जाने वाला गीता जयंती हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और प्रेरणादायी उत्सवों में से एक है। यह वह पावन दिन है जब भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के रणांगण में अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य उपदेश दिया था।
गीता जयंती 2025 – तिथि और मुहूर्त
- तिथि: मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी – 1 दिसंबर 2025 (गुरुवार)
- एकादशी प्रारंभ: 30 नवंबर 2025, शाम 5:41 बजे से
- एकादशी समाप्ति: 1 दिसंबर 2025, दोपहर 3:17 बजे तक
- पारण समय: 2 दिसंबर 2025, सुबह 6:55 से 9:05 तक
- विशेष संयोग: गुरुवार + रोहिणी नक्षत्र (मोक्ष प्राप्ति के लिए उत्तम)
गीता जयंती का महत्व
महाभारत युद्ध के प्रारंभ में जब अर्जुन मोहग्रस्त होकर युद्ध से विमुख हो जाते हैं, तब श्रीकृष्ण उन्हें कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग एवं संन्यासयोग का तत्त्वज्ञान देते हैं – यही 700 श्लोकों वाला अमर ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता है।
महात्मा गांधी इसे अपनी माता कहते थे, लोकमान्य तिलक ने कर्मयोग का सर्वोत्तम ग्रंथ माना, स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को गीता पढ़ने की प्रेरणा दी और आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी इसके संदेशों से प्रेरित होते हैं।
आज क्या करें – पूजा विधि एवं अनुष्ठान
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के पूजा-स्थल में श्रीकृष्ण मूर्ति एवं गीता ग्रंथ स्थापित करें।
- दीप प्रज्वलित कर पुष्प, चंदन, धूप-दीप अर्पित करें।
- गीता के कम से कम एक अध्याय का पाठ करें।
- मंत्र जप: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय (न्यूनतम 108 बार)
- प्रसिद्ध श्लोकों का सस्वर पाठ करें, जैसे – कर्मण्येवाधिकारस्ते… (2.47)
- शाम को गीता आरती एवं भजन-कीर्तन करें।
- ब्राह्मण या जरूरतमंद को गीता ग्रंथ, भोजन एवं वस्त्र दान करें।
विश्वव्यापी उत्सव
कुरुक्षेत्र में आज से अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 (7–24 दिसंबर) शुरू हो चुका है। वृंदावन, मथुरा, इस्कॉन मंदिरों, पुरी, उज्जैन, द्वारका आदि में शोभायात्राएं और 24 घंटे अखंड पाठ हो रहे हैं। विदेशों में भी भारतीय समुदाय उत्साह से मना रहा है।
गीता के 6 अमर संदेश (2025 के लिए विशेष)
- निष्काम कर्म: कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
- समत्व भाव: सुख-दुःख में समान रहो।
- आत्मा अमर है: नैनं छिन्दंति शस्त्राणि…
- पूर्ण समर्पण: मामेकं शरणं व्रज।
- धर्म रक्षा: यदा यदा हि धर्मस्य…
- योगस्थ जीवन: योगस्थः कुरु कर्माणि।
इस गीता जयंती का संकल्प
आज हम संकल्प लें कि:
- प्रतिदिन कम से कम एक श्लोक पढ़ेंगे।
- गीता के सिद्धांतों को जीवन में उतारेंगे।
- कम से कम एक व्यक्ति को गीता भेंट करेंगे।
गीता मेरी जीवन संगीता बने,
कृष्ण मेरे हृदय में विराजें।
जय श्रीकृष्ण! जय गीता जयंती!!
दिनांक: 1 दिसंबर 2025
लेखक: मूनफायर्स टीम



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