दर्श (सर्वपित्री) अमावस्या 2025 – तिथि, महत्व और पूजा विधि
सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, जो अश्विन मास की अमावस्या को पड़ता है. इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती, और यह उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करने का अवसर होता है. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना, दान-दक्षिणा देना, और पितरों के लिए प्रार्थना करना शुभ माना जाता है
📅 दर्श अमावस्या 2025 की तिथि और समय
- तिथि: मंगलवार, 21 सितंबर 2025
- अमावस्या प्रारंभ: 20 सितंबर 2025, रात्रि 10:12 बजे
- अमावस्या समाप्त: 21 सितंबर 2025, रात्रि 08:43 बजे
🙏 दर्श अमावस्या का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि पितृपक्ष के इन दिनों में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध और तर्पण को स्वीकार करते हैं। विशेषकर सर्वपित्री अमावस्या पर पितरों को स्मरण करने से परिवार में शांति, समृद्धि और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गरुड़ पुराण और अग्नि पुराण में उल्लेख है कि यदि पूरे पितृपक्ष में श्राद्ध न हो सके तो सर्वपित्री अमावस्या के दिन अवश्य करना चाहिए। यह दिन उन सभी पितरों को समर्पित है, जिन्हें व्यक्ति नाम से नहीं जानता।
🕉️ पौराणिक कथा
महाभारत के समय की कथा है कि वीर कर्ण जब स्वर्गलोक पहुँचे तो उन्हें अन्न की जगह रत्न और स्वर्ण मिला। उन्होंने यमराज से इसका कारण पूछा। यमराज ने बताया कि आपने जीवन में गरीबों और ब्राह्मणों को बहुत दान दिया, लेकिन कभी पितरों के नाम से अन्न और जल का दान नहीं किया। इस कारण स्वर्ग में आपको भोजन नहीं मिल रहा। कर्ण ने क्षमा माँगी और पृथ्वी पर आकर यह कमी पूरी करने की प्रार्थना की। यमराज ने उन्हें 15 दिनों के लिए पृथ्वी पर भेजा। इन्हीं 15 दिनों को पितृपक्ष कहा जाता है। इसका अंतिम दिन सर्वपित्री अमावस्या है।
🪔 पूजन एवं श्राद्ध विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पवित्र नदी, तालाब या घर में तर्पण की व्यवस्था करें।
- काला तिल, कुश और जल से पितरों को अर्घ्य अर्पित करें।
- पकवान बनाकर कौवे, गाय, कुत्ते और ब्राह्मण को भोजन कराएं।
- अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान करने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है।
🌿 विशेष उपाय
- पीपल वृक्ष को जल अर्पित कर दीपक जलाएँ।
- गरीबों को भोजन कराएँ और अन्नदान करें।
- कौवों को अन्न खिलाएँ, इसे पितरों तक पहुँचना माना जाता है।
- गाय की सेवा कर उसके चारे और जल की व्यवस्था करें।
📖 शास्त्रीय संदर्भ
गरुड़ पुराण में कहा गया है: “श्राद्धेन पितरो तृप्यन्ति, तर्पणेन च देवताः।” अर्थात श्राद्ध से पितर तृप्त होते हैं और तर्पण से देवता प्रसन्न होते हैं।
मनुस्मृति और विष्णु धर्मसूत्र में भी अमावस्या पर श्राद्ध और तर्पण का महत्व बताया गया है।
❓ सामान्य प्रश्न (FAQs)
1. यदि पूरे पितृपक्ष में श्राद्ध न हो पाए तो क्या करें?
ऐसी स्थिति में सर्वपित्री अमावस्या पर अवश्य श्राद्ध करें।
2. क्या महिलाएँ श्राद्ध कर सकती हैं?
परंपरागत रूप से पुरुष ही श्राद्ध करते हैं, परंतु परिस्थितिवश महिलाएँ भी कर सकती हैं।
3. इस दिन क्या दान करना श्रेष्ठ है?
अन्न, वस्त्र, तिल, स्वर्ण और गौ दान विशेष फलदायी माना गया है।
✅ निष्कर्ष
दर्श (सर्वपित्री) अमावस्या 2025 का दिन अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का सर्वोत्तम अवसर है। इस दिन विधि-विधान से श्राद्ध, तर्पण और दान करने से न केवल पितृ प्रसन्न होते हैं बल्कि परिवार पर भी सुख-समृद्धि की कृपा बनी रहती है।