हनुमान जयंती 2025: सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हनुमान जयंती, भगवान हनुमान के जन्मोत्सव का पवित्र पर्व, भारत में लाखों भक्तों द्वारा श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। बजरंग बली के नाम से प्रसिद्ध हनुमान जी, भगवान श्री राम के परम भक्त और शक्ति के प्रतीक हैं। यह पर्व भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन पूजा और व्रत से मानसिक शांति, शारीरिक बल और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। लेकिन एक सवाल जो अक्सर उठता है, वह है—हनुमान जयंती 2025 कब है? और इसे दो बार क्यों मनाया जाता है? इस लेख में हम हनुमान जयंती की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके दो बार मनाए जाने के कारणों को विस्तार से जानेंगे।

हनुमान जयंती का महत्व
हनुमान जयंती भगवान हनुमान के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था। वह वानर राज केसरी और माता अंजना के पुत्र हैं। हनुमान जी को मारुति नंदन, पवनपुत्र और संकटमोचन जैसे नामों से भी जाना जाता है। उनकी भक्ति और शक्ति की कहानियां रामायण में वर्णित हैं।
- हनुमान जयंती भक्ति, निष्ठा और साहस का प्रतीक है।
- यह पर्व भक्तों को जीवन की बाधाओं को पार करने की प्रेरणा देता है।
- इस दिन पूजा करने से भय, रोग और नकारात्मकता दूर होती है।
हनुमान जयंती 2025 कब है?
हनुमान जयंती की तिथि हिंदू पंचांग के आधार पर निर्धारित होती है। सामान्य रूप से, यह चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो मार्च या अप्रैल में पड़ती है। 2025 में हनुमान जयंती की संभावित तिथि निम्नलिखित है:
- तिथि: 12 अप्रैल 2025 (चैत्र पूर्णिमा)
- शुभ मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:30 से 5:15 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:45 बजे तक
- सायंकालीन पूजा: सूर्यास्त के बाद, 6:30 से 8:00 बजे तक
हालांकि, दक्षिण भारत में हनुमान जयंती कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी (अक्टूबर-नवंबर) को भी मनाई जाती है। इस तिथि को विशेष रूप से तमिलनाडु और कर्नाटक में महत्व दिया जाता है।
हनुमान जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है?
हनुमान जयंती के साल में दो बार मनाए जाने का कारण क्षेत्रीय परंपराओं और पौराणिक मान्यताओं में निहित है। आइए समझते हैं दोनों तिथियों का महत्व:
1. चैत्र पूर्णिमा (उत्तर भारत)
उत्तर भारत में, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में, हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय के समय हनुमान जी का जन्म हुआ था।
- भक्त इस दिन हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामचरितमानस का पाठ करते हैं।
- यह तिथि हनुमान जी की भक्ति और रामायण के कार्यों से जुड़ी है।
2. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी (दक्षिण भारत)
दक्षिण भारत में, विशेष रूप से तमिलनाडु और कर्नाटक में, हनुमान जयंती कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है। इसे हनुमान व्रत के रूप में भी जाना जाता है।
- मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी ने श्री राम से विशेष कृपा प्राप्त की थी।
- कुछ विद्वान इसे हनुमान जी की भक्ति के उत्सव के रूप में मानते हैं।
क्षेत्रीय और सांस्कृतिक अंतर
इन दो तिथियों का अंतर वैदिक और दक्षिण भारतीय पंचांग की गणना पर आधारित है। उत्तर भारत में वैदिक पंचांग का पालन होता है, जबकि दक्षिण भारत में कुछ अलग मान्यताएं हैं। दोनों तिथियां हनुमान जी की महिमा को अलग-अलग रूपों में दर्शाती हैं।
हनुमान जयंती की पूजा विधि
हनुमान जयंती के दिन पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। नीचे दी गई विधि को विधिवत करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है:
पूजा की तैयारी
- स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थान: पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
- हनुमान जी की मूर्ति: लाल कपड़े पर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- सामग्री: रोली, चंदन, फूल, धूप, दीप, लड्डू, केला, पान के पत्ते और लाल कपड़ा तैयार करें।
पूजा की प्रक्रिया
- संकल्प: हनुमान जी का ध्यान करें और पूजा का संकल्प लें।
- दीप प्रज्वलन: घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
- अभिषेक: पंचामृत और शुद्ध जल से हनुमान जी का अभिषेक करें।
- वस्त्र: लाल या केसरी वस्त्र अर्पित करें।
- भोग: लड्डू, केला या गुड़-चने का भोग लगाएं।
- पाठ: हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ करें।
- आरती: “आरती कीजै हनुमान लला की” गाकर पूजा पूर्ण करें।
व्रत विधि
- सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखें।
- फल, दूध और सात्विक भोजन का सेवन करें।
- हनुमान जी के मंत्रों का जाप करें।
महत्वपूर्ण मंत्र
- हनुमान मंत्र: ॐ हं हनुमते नमः
- बजरंग बली मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हनुमते नमः
- संकटमोचन मंत्र: मनोजवं मारुततुल्यवेगं…
हनुमान जयंती के दिन क्या करें और क्या न करें
क्या करें
- हनुमान मंदिर में दर्शन करें।
- गरीबों को दान दें।
- हनुमान चालीसा और भजन गाएं।
क्या न करें
- मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से बचें।
- झूठ बोलने या क्रोध करने से बचें।
- अशुद्ध कपड़े न पहनें।
हनुमान जयंती का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
हनुमान जयंती केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक है। इस दिन मंदिरों में भक्तों का मेला लगता है, और भंडारे, जुलूस और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति और कर्मठता से हर चुनौती जीती जा सकती है।
हनुमान जयंती 2025 भक्ति और शक्ति का अनूठा संगम है। चाहे आप चैत्र पूर्णिमा को उत्सव मनाएं या कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को, आपकी श्रद्धा ही इस पर्व को सार्थक बनाती है। हनुमान चालीसा का पाठ करें, व्रत रखें और बजरंग बली की कृपा प्राप्त करें।
जय हनुमान! जय श्री राम!