श्री गणेश भगवान सभी देवताओं से पहले पूजे ( गणेश आरती ) जाते हैं। हर-पूजा पाठ का प्रारंभ उन्हीं के आवाह्न के साथ होता है। गणपति महाराज शुभता, बुद्धि, सुख-समृद्धि के देवता हैं। जहां भगवान गणेश का वास होता है वहां पर रिद्धि सिद्धि और शुभ लाभ भी विराजते हैं। इनकी पूजा से आरंभ किए गए किसी कार्य में बाधा नहीं आती है इसलिए गणेश भगवान को विघ्नहर्ता कहा जाता है। चतुर्थी / संकष्टी के दिन गणेश वंदना करनी चाहिए। मंत्र सहित उनकी पूजा करनी चाहिए और पूजा के अंत में गणेश आरती गाकर पूजा का समापन करना चाहिए।
श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी .
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा .
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी .
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
गणेश वंदना
हे एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकं।
बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।
है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम….ॐ हरि ॐ
गणपति है वकर्तुंडंम, एकदंतम गणपति है,
कृष्णपिंगाक्षम गणपति, गणपति गजवक्त्रंमम….
है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम।
बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।….ॐ हरि ॐ
गणपति लम्बोदरंम है, विकटमेव भी है गणपति
विघ्नराजेंद्रम गणपति, हो तुम्ही धूम्रवर्णमंम।।
है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम।
बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।….ॐ हरि ॐ
भालचंद्रम गणपति है, विनायक भी गणपति है,
गणपति एकादशं है, द्वादशं तू गजाननंम।।
है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम।
बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।….ॐ हरि ॐ
गणेश स्तुति मंत्र
ॐ श्री गणेशाय नम:।
ॐ गं गणपतये नम:।
ॐ वक्रतुण्डाय नम:।
ॐ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:।
ॐ विघ्नेश्वराय नम:।
गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्।
उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।