सनातन धर्म क्या है? एक प्राचीन और विशाल धार्मिक और दार्शनिक परंपरा है, जो भारत की मूल संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। यह एक जीवंत और विकासशील परंपरा है, जो हजारों वर्षों से विकसित हो रही है और भारतीय समाज और संस्कृति को गहराई से प्रभावित करती है।
इतिहास
सनातन धर्म का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। इसकी शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 3300-1300 ईसा पूर्व) से मानी जाती है। वैदिक काल (1500-500 ईसा पूर्व) में वेदों की रचना हुई, जो सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक हैं।
अर्थ
सनातन धर्म का शाब्दिक अर्थ है “अनादि” या “अनंत”, जो इस परंपरा की अनन्तता और अविनाशीयता को दर्शाता है। यह एक व्यापक और बहुआयामी धर्म है, जिसमें विभिन्न दार्शनिक और आध्यात्मिक विचारधाराएं शामिल हैं।
सनातन धर्म की जड़ें वेदों और उपनिषदों में मौजूद हैं, जो भारतीय दर्शन के मूल स्रोत हैं। इन प्राचीन ग्रंथों में मानव जीवन के सार्वभौमिक सत्य और अंतर्दृष्टि प्रस्तुत की गई हैं। वेदों में ब्रह्मा, विष्णु और शिव जैसे देवताओं की पूजा की जाती है, जबकि उपनिषदों में आत्मा, ब्रह्म और मोक्ष जैसे दार्शनिक विषयों पर चर्चा की गई है।
सनातन धर्म में कर्म, भक्ति, ज्ञान और योग जैसे विभिन्न मार्ग हैं, जिनके माध्यम से व्यक्ति अपने आध्यात्मिक विकास और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। इन मार्गों में से प्रत्येक अपने तरीके से व्यक्ति को उच्चतर चेतना और आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।
पूजा
सनातन धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं – ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश, कृष्ण, राम, दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती। ये देवी-देवता मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक हैं और उनकी पूजा से व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति और मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
सनातन धर्म में योग, ध्यान, तपस्या और आध्यात्मिक अभ्यास जैसी विभिन्न साधनाएं हैं, जिनके माध्यम से व्यक्ति अपने मन और शरीर को शुद्ध और संतुलित कर सकता है। ये साधनाएं व्यक्ति को आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर ले जाती हैं।
सनातन धर्म की समृद्ध और विविध परंपरा में कई महान संतों, ऋषियों और आचार्यों ने योगदान दिया है। इनमें से कुछ प्रमुख हैं – वेदव्यास, शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, मध्वाचार्य, वल्लभाचार्य, चैतन्य महाप्रभु, स्वामी विवेकानंद, श्री अरविंद और स्वामी रामकृष्ण परमहंस।
योगदान
सनातन धर्म की समृद्ध और विविध परंपरा का गौरवशाली इतिहास है। इस परंपरा में कई महान व्यक्तित्वों ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। इन महान व्यक्तित्वों में संत, ऋषि और आचार्य शामिल हैं, जिन्होंने अपने अद्वितीय विचारों और कार्यों से इस धर्म को समृद्ध किया है।
प्रमुख संतों में श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, श्री अरविंद, संत तुकाराम और संत मीराबाई का नाम उल्लेखनीय है। ये महापुरुष अपने जीवन और उपदेशों से लोगों को प्रेरित करते हैं। इसी प्रकार, महर्षि वेदव्यास, श्री शंकराचार्य, श्री रामानुजाचार्य और श्री मध्वाचार्य जैसे महान ऋषि और आचार्यों ने अपने दार्शनिक और धार्मिक योगदान से इस परंपरा को समृद्ध किया है।
इन महान व्यक्तित्वों के जीवन और कार्यों से हम सीख और प्रेरणा लेते हैं। उनके उपदेश और कार्य हमारे लिए मार्गदर्शक हैं और हमें अपने जीवन को सार्थक बनाने में सहायता प्रदान करते हैं। सनातन धर्म की समृद्ध और विविध परंपरा हमारे लिए गर्व का विषय है और हमें इसका योगदान सदैव याद रखना चाहिए।
विशेषताएं
- ईश्वर: सनातन धर्म में एक ईश्वर की अवधारणा है, जिसे सर्वोच्च, सृष्टिकर्ता और पालनकर्ता माना जाता है।
- आत्मा: सनातन धर्म में आत्मा का अस्तित्व अमर माना जाता है। मृत्यु के बाद आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में जन्म लेती है, जिसे कर्म चक्र कहा जाता है।
- मोक्ष: सनातन धर्म का लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है, जो कर्म चक्र से मुक्ति और आत्मा की परम आनंद की स्थिति है।
- ग्रंथ: वेद, उपनिषद, पुराण, रामायण, महाभारत, गीता आदि सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंथ हैं।
- मार्ग: सनातन धर्म में अनेक मार्ग हैं, जैसे कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग, राजयोग आदि।
- त्यौहार: सनातन धर्म में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं, जैसे दीपावली, होली, दशहरा, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, जन्मदिन आदि।
महत्व
सनातन धर्म न केवल एक धर्म है, बल्कि यह जीवन जीने का एक तरीका भी है। यह सदाचार, नैतिकता, कर्म, त्याग, और प्रेम पर बल देता है। सनातन धर्म ने कला, संगीत, साहित्य, दर्शन और विज्ञान सहित अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
आज
आज सनातन धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। यह भारत, नेपाल और मॉरीशस का बहुसंख्यक धर्म है। सनातन धर्म दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा प्रचलित है।