गायत्री जयंती

चलिए आज हम एक ऐसे पर्व के बारे में बात करते हैं, जिसका नाम है गायत्री जयंती। यह एक ऐसा त्योहार है, जिसका संबंध हमारी प्राचीन संस्कृति से है और जिसमें हमारी देवी गायत्री की पूजा-अर्चना की जाती है।

गायत्री जयंती क्यों मनाई जाती है? गायत्री जयंती देवी गायत्री के जन्मोत्सव का प्रतीक है , जिन्हें हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र के अवतार के रूप में पूजा जाता है, एक पवित्र मंत्र जो अपने पाठकों को ज्ञान और आत्मज्ञान प्रदान करता है।

गायत्री मंत्र, गायत्री जयंती
गायत्री मंत्र. गायत्री जयंती

गायत्री माता का अवतार

हिन्दू धर्म में देवी गायत्री का एक विशेष स्थान है। कहा जाता है कि माता गायत्री ने ब्रह्माजी की प्रार्थना से प्रकट हुई थीं। इनका अवतार त्रेता युग में हुआ था। माना जाता है कि माता गायत्री ने ब्रह्माजी की प्रार्थना से प्रकट होकर संस्कृति, ज्ञान और संस्कार का प्रचार किया। इनका अवतार संस्कृति और ज्ञान के प्रसार में सहायक रहा।

गायत्री मंत्र की महत्ता

गायत्री मंत्र एक ऐसा मंत्र है, जिसका जाप करने से हमें आत्मिक शांति और ज्ञान प्राप्त होता है। यह मंत्र है – “ओम भूर्भुवः स्वः त्तत्सवΙΤुर्वरेन्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धीयो यो नः प्रचोदयात्”। इस मंत्र का अर्थ है – “हम उस पवित्र प्रकाश से प्रेरित हैं, जिसका नाम गायत्री है और जिसका स्तर हिमालय से ऊंचा है”। इस मंत्र का उच्चारण करने से हमें आत्मिक शांति और ज्ञान प्राप्त होता है।

हिंदू धर्म शास्त्रों में माता गायत्री को मां सरस्वती, लक्ष्मी और मां काली का प्रतिनिधित्व करने वाली माना गया है। इसके साथ ही माता गायत्री के वेदों की माता भी माना जाता है। इस कारण इनका नाम वेदमाता भी है। गायत्री जयंती का पर्व मां गायत्री के जन्म के रूप में मनाया जाता है।

गायत्री जयंती का महत्त्व

गायत्री जयंती एक ऐसा त्योहार है, जिसका संबंध माता गायत्री से है। इस दिन की पूजा-अर्चना से हमें आत्मिक शांति और ज्ञान प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन की पूजा-अर्चना से हमें देवी गायत्री का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हमारे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन की पूजा-अर्चना से हमें ज्ञान, संस्कृति और संस्कार प्राप्त होता है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इस दिन कोई भी नया काम, गंभीर अध्ययन या आत्मसंयम के लिए व्रत रखना अत्यंत लाभकारी होता है। गायत्री के आशीर्वाद से प्रेरित आध्यात्मिक मनोदशा आत्मनिरीक्षण, कोई लाभकारी अभ्यास आरंभ करने या अपने लिए उच्च नैतिक मानक चुनने के लिए उत्तम है।

गायत्री जयंती की पूजा-अर्चना

गायत्री जयंती की पूजा-अर्चना करने से पहले हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

* इस दिन की पूजा-अर्चना सुबह के समय करनी चाहिए।
* माता गायत्री की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए।
* माता गायत्री की मूर्ति की पूजा करने के लिए फूल, अक्षत, और नेवैद्य चढ़ाना चाहिए।
* माता गायत्री की पूजा-अर्चना में गायत्री मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि देवी गायत्री इस धरती पर जीवन के हर रूप में विद्यमान हैं. इसलिए गायत्री जयंती के शुभ दिन देवी गायत्री की पूजा करने से व्यक्ति को बुद्धि, ज्ञान और समृद्ध जीवन की प्राप्ति होती है. देवी गायत्री की पूजा करना वेदों का अध्ययन करने के बराबर है.

इस प्रकार, हमने गायत्री जयंती के बारे में बात की। यह एक ऐसा त्योहार है, जिसका संबंध हमारी प्राचीन संस्कृति से है और जिसका महत्त्व हमारे जीवन में सुख-समृद्धि लाने में सहायक है। nên इस दिन की पूजा-अर्चना करना चाहिए और माता गायत्री का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

 

गायत्री मंत्र अर्थ सहित

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