द्वितीय सरसंघचालक गोलवलकर गुरुजी

Raj K
गोलवलकर गुरुजी

द्वितीय सरसंघचालक गोलवलकर गुरुजी : एक जीवन परिचय

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में की थी। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य был हिन्दू समाज की एकता और सशक्तीकरण था। डॉक्टर हेडगेवार के निधन के बाद, गोलवलकर गुरुजी ने आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक के रूप में काम किया। आज के इस लेख में हम गोलवलकर गुरुजी के जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं।

शुरुआती जीवन

गोलवलकर गुरुजी का जन्म 19 फरवरी 1906 को नागपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम रामकृष्ण गोलवलकर था और माता का नाम लक्ष्मी बाई था। गोलवलकर जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नागपुर में प्राप्त की। फिर उन्होंने बेंगलुरु के मैसूर विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री हासिल की।

सरसंघचालक गोलवलकर गुरुजी
सरसंघचालक गोलवलकर गुरुजी

आरएसएस से जुड़ना

गोलवलकर जी ने 1931 में आरएसएस से जुड़ना शुरू किया था। उस समय वे नागपुर में रहते थे। गुरुजी ने डॉक्टर हेडगेवार के संरक्षण में काम किया और संघ के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई। डॉक्टर हेडगेवार के निधन के बाद, गोलवलकर जी ने 1940 में आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक के रूप में काम किया।

सरसंघचालक के रूप में योगदान

गोलवलकर गुरुजी ने संघ के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने संघ की शाखाओं की संख्या बढ़ाई और संगठन का विस्तार किया। गुरुजी ने संघ के कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया और नेतृत्व क्षमता का विकास किया। उनके नेतृत्व में संघ ने सामाजिक क्षेत्र में भी काफी सक्रियता दिखाई।

दर्शन और विचार

गोलवलकर गुरुजी एक प्रखर हिन्दू राष्ट्रवादी थे। वे मानते थे कि हिन्दुओं की एकता और सशक्तीकरण से ही देश की प्रगति संभव है। उनके अनुसार, हिन्दू समाज की एकता से ही देश में शांति और स्थिरता आ सकती है। गुरुजी ने अपने विचारों में लिखा था कि हिन्दुओं की एकता से ही देश की रक्षा हो सकती है।

गोलवलकर गुरुजी का निधन 5 जून 1973 को नागपुर में हुआ था। उनके निधन के बाद, माधवराव सदाशिव गोलवलकर (श्री बालासाहेब देवरस) ने आरएसएस के तृतीय सरसंघचालक के रूप में काम किया।

निष्कर्ष

गोलवलकर गुरुजी एक प्रखर हिन्दू राष्ट्रवादी थे। उन्होंने आरएसएस के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और संघ के विस्तार में काफी योगदान दिया। गुरुजी के विचारों ने हिन्दू समाज की एकता और सशक्तीकरण के लिए प्रेरित किया। आज हमें गोलवलकर गुरुजी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और हिन्दू समाज की एकता के लिए प्रयास करना चाहिए।

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