१०० सुप्रभात संस्कृत श्लोक की सूची हिंदी अर्थ के साथ

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संस्कृत सुभाषिते
संस्कृत सुभाषिते

परिचय

सुप्रभात संस्कृत श्लोकों की महत्ता को समझना अत्यंत आवश्यक है। यह श्लोक न केवल हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा हैं, बल्कि वे हमारे मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण साधन हैं। सुबह के समय उच्चारित किए जाने वाले ये श्लोक हमारे दिन की शुरुआत को सकारात्मक ऊर्जा और शांति प्रदान करते हैं।

संस्कृत श्लोक अपने गहन अर्थ और सुंदर भाषा के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें छुपे हुए आध्यात्मिक संदेश और नैतिक शिक्षा हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में सहायता करते हैं। सुप्रभात संस्कृत श्लोकों का नियमित रूप से उच्चारण करने से मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन प्राप्त होता है, जो हमारे दैनिक जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सुप्रभात संस्कृत श्लोकों को दैनिक जीवन में शामिल करने से हम अपने दिन की शुरुआत एक नई ऊर्जा और सकारात्मक सोच के साथ कर सकते हैं। ये श्लोक हमें मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करते हैं, जिससे हम अपने कार्यों को अधिक प्रभावी और सफलतापूर्वक संपन्न कर सकते हैं।

इन श्लोकों के माध्यम से हमें न केवल आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सुप्रभात संस्कृत श्लोकों का नियमित उच्चारण हमारे मन को शांत और स्थिर करता है, जिससे हम जीवन की चुनौतियों का सामना आत्मविश्वास और धैर्य के साथ कर सकते हैं।

इस प्रकार, सुप्रभात संस्कृत श्लोकों का हमारे दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इनके माध्यम से हम न केवल अपनी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखते हैं, बल्कि अपने मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी सुदृढ़ बनाते हैं।

सुप्रभात संस्कृत श्लोक क्या हैं?

सुप्रभात संस्कृत श्लोक प्राचीन भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण अंग हैं, जिनका उद्देश्य दिन की शुरुआत को पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनाना है। संस्कृत भाषा में रचित ये श्लोक ध्यान और अध्यात्म की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। इनमें ज्ञान, सत्य, और आत्मचिंतन की गहरी शिक्षाएं निहित होती हैं, जो व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करती हैं।

सुप्रभात संस्कृत श्लोकों का उच्चारण विशेष महत्व रखता है। हर श्लोक में निहित ध्वनि और लय एक विशिष्ट कंपन उत्पन्न करती है, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। इन श्लोकों को सुबह के समय पढ़ने या सुनने से न केवल एक सकारात्मक शुरुआत होती है, बल्कि यह दिनभर की चुनौतियों का सामना करने के लिए ऊर्जा और आत्मविश्वास भी प्रदान करता है।

भारतीय संस्कृति में, सुप्रभात संस्कृत श्लोकों का पाठ एक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है। यह व्यक्ति को आत्मा की शुद्धि और मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। इसके साथ ही, ये श्लोक परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और समर्पण की भावना को भी प्रबल करते हैं।

संस्कृत श्लोकों के उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि तरंगें न केवल वातावरण को शुद्ध करती हैं, बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती हैं। सुप्रभात संस्कृत श्लोकों का नियमित अभ्यास व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। इस प्रकार, सुप्रभात संस्कृत श्लोक एक साधन हैं जो व्यक्ति को दिन की शुरुआत में सही मानसिकता और दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जिससे जीवन में आनंद और संतोष की प्राप्ति होती है।

सुप्रभात संस्कृत श्लोकों की सूची: भाग १

प्राचीन काल से ही संस्कृत श्लोकों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। ये श्लोक न केवल हमें आध्यात्मिक प्रेरणा देते हैं, बल्कि हमारे दिन की शुरुआत को भी सकारात्मक और ऊर्जावान बनाते हैं। इस खंड में हम पहले २५ सुप्रभात संस्कृत श्लोकों की सूची प्रस्तुत कर रहे हैं, जो आपके जीवन में नई ऊर्जा का संचार करेंगे। प्रत्येक श्लोक के साथ उसका हिंदी अर्थ और व्याख्या भी प्रदान की जा रही है, ताकि आप इन श्लोकों के गहरे अर्थ और संदेश को समझ सकें।

1. श्लोक: “सुप्रभातं सदा कुर्वन्ति भास्करस्य किरणाः।”
अर्थ: सूर्य की किरणें सदैव सुप्रभात की घोषणा करती हैं।
व्याख्या: यह श्लोक हमें बताता है कि हर सुबह नए अवसर और संभावनाओं के साथ आती है।

2. श्लोक: “उत्तिष्ठ जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।”
अर्थ: उठो, जागृत हो जाओ और श्रेष्ठता को प्राप्त करो।
व्याख्या: यह श्लोक हमें प्रेरित करता है कि हमें हर सुबह ऊर्जावान होकर नए लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए।

3. श्लोक: “सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।”
अर्थ: सभी सुखी रहें, सभी स्वस्थ रहें।
व्याख्या: यह श्लोक हमें सामूहिक कल्याण की प्रार्थना करने की प्रेरणा देता है।

4. श्लोक: “ध्यानं निर्विकल्पं स्मरणं निरन्तरम्।”
अर्थ: ध्यान स्थिर हो और स्मरण निरंतर हो।
व्याख्या: यह श्लोक हमें मानसिक शांति और ध्यान की महत्ता को समझाता है।

5. श्लोक: “शान्तिः शान्तिः शान्तिः।”
अर्थ: शांति, शांति, शांति।
व्याख्या: यह श्लोक हमें आंतरिक और बाहरी शांति की महत्ता को समझाता है।

6. श्लोक: “स्वस्ति प्रजाभ्यः परिपालयन्तां।”
अर्थ: प्रजा की रक्षा हो।
व्याख्या: यह श्लोक प्रजा की सुरक्षा और कल्याण की प्रार्थना करता है।

7. श्लोक: “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”
अर्थ: तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल में नहीं।
व्याख्या: यह श्लोक हमें निष्काम कर्म की शिक्षा देता है।

8. श्लोक: “सत्यमेव जयते नानृतं।”
अर्थ: सत्य की ही सदैव विजय होती है, असत्य की नहीं।
व्याख्या: यह श्लोक हमें सत्य की महत्ता को बताता है।

9. श्लोक: “सर्वे सन्तु निरामयाः।”
अर्थ: सभी निरोगी रहें।
व्याख्या: यह श्लोक सभी के स्वास्थ्य की प्रार्थना करता है।

10. श्लोक: “असतो मा सद्गमय।”
अर्थ: असत्य से सत्य की ओर ले चलो।
व्याख्या: यह श्लोक हमें सत्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।

11. श्लोक: “तमसो मा ज्योतिर्गमय।”
अर्थ: अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।
व्याख्या: यह श्लोक हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है।

12. श्लोक: “मृत्योर्मामृतं गमय।”
अर्थ: मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलो।
व्याख्या: यह श्लोक हमें आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।

13. श्लोक: “सर्वे भवन्तु सुखिनः।”
अर्थ: सभी सुखी हों।
व्याख्या: यह श्लोक सभी के सुखों की प्रार्थना करता है।

14. श्लोक: “ध्यानं शान्तिः।”
अर्थ: ध्यान शांति देता है।
व्याख्या: यह श्लोक ध्यान की महत्ता को बताता है।

15. श्लोक: “आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः।”
अर्थ: आत्मा ही देखने योग्य है।
व्याख्या: यह श्लोक हमें आत्मज्ञान की प्रेरणा देता है।

16. श्लोक: “सर्वे भवंतु सुखिनः।”
अर्थ: सभी सुखी हों।
व्याख्या: यह श्लोक सभी के सुखों की प्रार्थना करता है।

17. श्लोक: “उत्तिष्ठ जाग्रत।”
अर्थ: उठो, जागो।
व्याख्या: यह श्लोक हमें सक्रिय और जागरूक रहने की प्रेरणा देता है।

18. श्लोक: “ध्यानं निर्विकल्पं।”
अर्थ: ध्यान स्थिर हो।
व्याख्या: यह श्लोक हमें ध्यान की महत्ता को समझाता है।

19. श्लोक: “सत्यमेव जयते।”
अर्थ: सत्य की ही विजय होती है।
व्याख्या: यह श्लोक सत्य की महत्ता को बताता है।

20. श्लोक: “ध्यानं निरन्तरं।”
अर्थ: ध्यान निरंतर हो।
व्याख्या: यह श्लोक हमें निरंतर ध्यान की प्रेरणा देता है।

21. श्लोक: “सर्वे सन्तु निरामयाः।”
अर्थ: सभी निरोगी रहें।
व्याख्या: यह श्लोक सभी के स्वास्थ्य की प्रार्थना करता है।

22. श्लोक: “शान्तिः शान्तिः शान्तिः।”
अर्थ: शांति, शांति, शांति।
व्याख्या: यह श्लोक हमें शांति की महत्ता को समझाता है।

23. श्लोक: “आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः।”
अर्थ: आत्मा ही देखने योग्य है।
व्याख्या: यह श्लोक हमें आत्मज्ञान की प्रेरणा देता है।

24. श्लोक: “सर्वे भवन्तु सुखिनः।”
अर्थ: सभी सुखी हों।
व्याख्या: यह श्लोक सभी के सुखों की प्रार्थना करता है।

25. श्लोक: “तमसो मा ज्योतिर्गमय।”
अर्थ: अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।
व्याख्या: यह श्लोक हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है।

सुप्रभात संस्कृत श्लोकों की सूची: भाग २

यहां हम २५ सुप्रभात संस्कृत श्लोकों की सूची प्रस्तुत कर रहे हैं, जो आपके दिन की शुरुआत को शुभ और प्रेरणादायक बना सकते हैं। प्रत्येक श्लोक के साथ उसका हिंदी अर्थ और संक्षिप्त व्याख्या भी दी गई है, जिससे आप इनके गहरे अर्थ को समझ सकें और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकें।

१. “प्रातः स्मरामि हृदि संस्फुरदात्मतत्त्वं सच्चित्सुखं परमहेतुमखण्डबोधम्।”

अर्थ: मैं प्रातःकाल में अपने हृदय में स्थित आत्मतत्त्व का स्मरण करता हूँ, जो सच्चिदानंद है, परम कारण है और अखंड बोधस्वरूप है।

२. “सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”

अर्थ: हे सर्वमंगलकारी, हे शिवा, हे सर्वार्थसाधिका, हे त्र्यम्बके, हे गौरी, हे नारायणी, आपको नमस्कार।

३. “कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती। करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥”

अर्थ: हाथों के अग्रभाग में लक्ष्मी, बीच में सरस्वती और मूल में गोविंद निवास करते हैं। प्रातःकाल हाथों का दर्शन करना चाहिए।

४. “शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं।”

अर्थ: शांति का स्वरूप, सर्प शय्या पर शयन करने वाले, जिनकी नाभि में कमल है, देवताओं के स्वामी।

५. “समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले। विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे॥”

अर्थ: हे देवी, समुद्र जिनका वस्त्र है, पर्वत जिनकी स्तनमंडली है, हे विष्णुपत्नि, आपको नमस्कार। मेरे पादस्पर्श को क्षमा करें।

६. “सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्॥”

अर्थ: सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी शुभ देखें, कोई भी दुःख का भागी न बने।

७. “असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमय॥”

अर्थ: असत्य से सत्य की ओर ले चलो, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो, मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलो।

८. “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”

अर्थ: वक्रतुंड, महाकाय, सूर्य के समान प्रकाशमान, हे देव, मेरे सभी कार्यों में सदा निर्विघ्नता प्रदान करें।

९. “शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिनमोऽस्तुते॥”

अर्थ: शुभ, कल्याण, आरोग्य और धनसंपदा प्रदान करने वाली दीपज्योति को नमस्कार।

१०. “त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।”

अर्थ: आप ही मेरी माता, पिता, बंधु और सखा हैं।

११. “सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”

अर्थ: हे सर्वमंगलकारी, शिवा, सर्वार्थसाधिका, त्र्यम्बके, गौरी, नारायणी, आपको नमस्कार।

१२. “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्रविष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।”

अर्थ: गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही महेश्वर हैं।

१३. “त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।”

अर्थ: आप ही मेरी माता, पिता, बंधु और सखा हैं।

१४. “सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”

अर्थ: हे सर्वमंगलकारी, शिवा, सर्वार्थसाधिका, त्र्यम्बके, गौरी, नारायणी, आपको नमस्कार।

१५. “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्रविष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।”

अर्थ: गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही महेश्वर हैं।

१६. “शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिनमोऽस्तुते॥”

अर्थ: शुभ, कल्याण, आरोग्य और धनसंपदा प्रदान करने वाली दीपज्योति को नमस्कार।

१७. “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”

अर्थ: वक्रतुंड, महाकाय, सूर्य के समान प्रकाशमान, हे देव, मेरे सभी कार्यों में सदा निर्विघ्नता प्रदान करें।

१८. “असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमय॥”

अर्थ: असत्य से सत्य की ओर ले चलो, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो, मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलो।

१९. “सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्॥”

अर्थ: सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी शुभ देखें, कोई भी दुःख का भागी न बने।

२०. “समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले। विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे॥”

अर्थ: हे देवी, समुद्र जिनका वस्त्र है, पर्वत जिनकी स्तनमंडली है, हे विष्णुपत्नि, आपको नमस्कार। मेरे पादस्पर्श को क्षमा करें।

२१. “शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं।”

अर्थ: शांति का स्वरूप, सर्प शय्या पर शयन करने वाले, जिनकी नाभि में कमल है, देवताओं के स्वामी।

२२. “कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती। करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥”

अर्थ: हाथों के अग्रभाग में लक्ष्मी, बीच में सरस्वती और मूल में गोविंद निवास करते हैं। प्रातःकाल हाथों का दर्शन करना चाहिए।

२३. “सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”

अर्थ: हे सर्वमंगलकारी, हे शिवा, हे सर्वार्थसाधिका, हे त्र्यम्बके, हे गौरी, हे नारायणी, आपको नमस्कार।

२४. “प्रातः स्मरामि हृदि संस्फुरदात्मतत्त्वं सच्चित्सुखं परमहेतुमखण्डबोधम्।”

अर्थ: मैं प्रातःकाल में अपने हृदय में स्थित आत्मतत्त्व का स्मरण करता हूँ, जो सच्चिदानंद है, परम कारण है और अखंड बोधस्वरूप है।

२५. “सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”

अर्थ: हे सर्वमंगलकारी, शिवा, सर्वार्थसाधिका, त्र्यम्बके, गौरी, नारायणी, आपको नमस्कार।

इन सुप्रभात संस्कृत श्लोकों के माध्यम से आप अपने दिन की शुरुआत शुभ, सकारात्मक और प्रेरणादायक तरीके से कर सकते हैं। इन श्लोकों का नियमित उच्चारण आपके जीवन में शांति और समृद्धि लेकर आ सकता है।

सुप्रभात संस्कृत श्लोकों की सूची: भाग ३

इस खंड में, हम और २५ सुप्रभात संस्कृत श्लोकों की सूची प्रस्तुत करेंगे। प्रत्येक श्लोक के साथ उसका हिंदी अर्थ और व्याख्या भी प्रदान करेंगे, जिससे पाठकों को इन श्लोकों का सही अर्थ और संदर्भ समझने में मदद मिलेगी।

श्लोक ५१: “उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।”

अर्थ: उठो, जागो और उत्तम लक्ष्यों को प्राप्त करो।

व्याख्या: यह श्लोक हमें जीवन में सतत प्रयास और जागरूकता की प्रेरणा देता है।

श्लोक ५२: “असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय।”

अर्थ: असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।

व्याख्या: यह श्लोक हमें सत्य और ज्ञान की ओर अग्रसर होने का संदेश देता है।

श्लोक ५३: “आत्मानं विद्धि।”

अर्थ: स्वयं को जानो।

व्याख्या: आत्मज्ञान की महत्ता पर बल देते हुए, यह श्लोक आत्म-अन्वेषण की प्रेरणा देता है।

श्लोक ५४: “सर्वे भवन्तु सुखिनः।”

अर्थ: सभी सुखी हों।

व्याख्या: यह श्लोक समस्त प्राणियों के कल्याण की कामना करता है।

श्लोक ५५: “धैर्यं सर्वत्र साधनं।”

अर्थ: धैर्य हर जगह साधन है।

व्याख्या: यह श्लोक धैर्य की महत्ता को रेखांकित करता है।

श्लोक ५६: “तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै।”

अर्थ: हमारा अध्ययन तेजस्वी हो, हम द्वेष न करें।

व्याख्या: इस श्लोक में अध्ययन और शांति की महत्ता बताई गई है।

श्लोक ५७: “शान्तिः शान्तिः शान्तिः।”

अर्थ: शांति, शांति, शांति।

व्याख्या: यह श्लोक आंतरिक और बाहरी शांति की कामना करता है।

श्लोक ५८: “सत्यमेव जयते।”

अर्थ: सत्य की ही विजय होती है।

व्याख्या: यह श्लोक सत्य की महानता को दर्शाता है।

श्लोक ५९: “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”

अर्थ: कर्म करने का अधिकार तुम्हारा है, लेकिन फलों में नहीं।

व्याख्या: यह श्लोक निष्काम कर्म की प्रेरणा देता है।

श्लोक ६०: “सर्वं ज्ञानं मयि स्थितम्।”

अर्थ: सारा ज्ञान मुझमें स्थित है।

व्याख्या: यह श्लोक आत्मज्ञान की महत्ता को उजागर करता है।

श्लोक ६१: “श्रीकृष्णः शरणं मम।”

अर्थ: श्रीकृष्ण मेरी शरण हैं।

व्याख्या: यह श्लोक भक्ति और समर्पण की भावना को दर्शाता है।

श्लोक ६२: “आत्मानं रथिनं विद्धि।”

अर्थ: आत्मा को रथी जानो।

व्याख्या: यह श्लोक आत्मा की महत्ता को समझाने का प्रयास करता है।

श्लोक ६३: “योगः कर्मसु कौशलम्।”

अर्थ: योग कर्मों में कुशलता है।

व्याख्या: यह श्लोक योग की वास्तविक परिभाषा को बताता है।

श्लोक ६४: “सर्वं ब्रह्ममयं जगत्।”

अर्थ: सारा जगत ब्रह्ममय है।

व्याख्या: यह श्लोक अद्वैतवाद की महत्ता को दर्शाता है।

श्लोक ६५: “शरणं गच्छामि।”

अर्थ: मैं शरण में जाता हूँ।

व्याख्या: यह श्लोक भक्ति और समर्पण की भावना को उजागर करता है।

श्लोक ६६: “सर्वं खल्विदं ब्रह्म।”

अर्थ: सब कुछ ब्रह्म है।

व्याख्या: यह श्लोक अद्वैतवाद की महत्ता को समझाता है।

श्लोक ६७: “अहं ब्रह्मास्मि।”

अर्थ: मैं ब्रह्म हूँ।

व्याख्या: यह श्लोक आत्मज्ञान की महत्ता को उजागर करता है।

श्लोक ६८: “योगक्षेमं वहाम्यहम्।”

अर्थ: मैं योग और क्षेम को वहन करता हूँ।

व्याख्या: यह श्लोक भगवान की कृपा पर विश्वास को दर्शाता है।

श्लोक ६९: “तत्त्वमसि।”

अर्थ: तू वही है।

व्याख्या: यह श्लोक अद्वैतवाद की महत्ता को दर्शाता है।

श्लोक ७०: “सर्वं ज्ञानमयो भवेत्।”

अर्थ: सब कुछ ज्ञानमय हो।

व्याख्या: यह श्लोक ज्ञान की महत्ता को उजागर करता है।

श्लोक ७१: “नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य।”

अर्थ: जिसके पास योग नहीं है, उसके पास बुद्धि नहीं है।

व्याख्या: यह श्लोक योग की महत्ता को दर्शाता है।

श्लोक ७२: “अपि चेदसि पापेभ्यः।”

अर्थ: यदि तुम पापियों में भी हो।

व्याख्या: यह श्लोक आत्मशुद्धि और आत्मसाक्षात्कार की प्रेरणा देता है।

श्लोक ७३: “आत्मानं सततं रक्ष।”

अर्थ: आत्मा की सदैव रक्षा करो।

व्याख्या: यह श्लोक आत्मरक्षा और आत्मसंरक्षण की प्रेरणा देता है।

श्लोक ७४: “सर्वं ज्ञानमयो भवेत्।”

अर्थ: सब कुछ ज्ञानमय हो।

व्याख्या: यह श्लोक ज्ञान की महत्ता को उजागर करता है।

श्लोक ७५: “तत्त्वमसि।”

अर्थ: तू वही है।

व्याख्या: यह श्लोक अद्वैतवाद की महत्ता को दर्शाता है।

सुप्रभात संस्कृत श्लोकों की सूची: भाग ४

इस खंड में, हम सुप्रभात संस्कृत श्लोकों की अंतिम २५ श्लोकों की सूची प्रस्तुत कर रहे हैं। प्रत्येक श्लोक का हिंदी अर्थ और व्याख्या भी दी गई है ताकि पाठकों को इन श्लोकों का गहरा और सटीक समझ मिल सके।

७६. श्लोक: “प्रातः स्मरामि हृदि संस्फुरदात्मतत्त्वं”
अर्थ: सुबह अपने हृदय में आत्मतत्त्व को स्मरण करता हूँ।
व्याख्या: इस श्लोक में आत्मतत्त्व की महत्ता का वर्णन है, जो मनुष्य को आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।

७७. श्लोक: “सूर्योदयस्य समये, ध्यायेत् सूर्यं सदापरम्”
अर्थ: सूर्योदय के समय सदा परमात्मा का ध्यान करें।
व्याख्या: इस श्लोक में सूर्योदय के समय ध्यान की महत्ता पर बल दिया गया है, जिससे दिन की शुभ शुरुआत होती है।

७८. श्लोक: “प्रत्युषे प्रातर्जपेन्नित्यं, ध्यायेत् परमेश्वरम्”
अर्थ: सवेरे परमेश्वर का नित्य जप और ध्यान करें।
व्याख्या: इस श्लोक के माध्यम से नित्य जप और ध्यान की महत्ता को बताया गया है, जो जीवन में शांति और संतुलन लाता है।

७९. श्लोक: “प्रभाते करदर्शनम्, स्मरेत् गुरुपादुका”
अर्थ: सुबह उठकर अपने हाथों का दर्शन करें और गुरु के चरणों का स्मरण करें।
व्याख्या: इस श्लोक में गुरु की महत्ता और सुबह की सकारात्मकता पर प्रकाश डाला गया है।

८०. श्लोक: “सर्वदा सर्वकर्माणि, भक्ति-युक्तेन सेवया”
अर्थ: सभी कर्म भक्ति से युक्त होकर करें।
व्याख्या: यह श्लोक भक्ति और सेवा की महत्ता को दर्शाता है, जो जीवन को सार्थक बनाता है।

८१. श्लोक: “प्रातः काले उठते ही, स्मरेत् विष्णुपदांभुजम्”
अर्थ: सुबह उठते ही विष्णु के चरणों का स्मरण करें।
व्याख्या: इस श्लोक से विष्णु का स्मरण और उनके चरणों की महत्ता का वर्णन मिलता है।

८२. श्लोक: “प्रभाते स्मरणं विष्णोः, नारायणस्य नित्यदा”
अर्थ: हर दिन सुबह विष्णु का स्मरण करें।
व्याख्या: यह श्लोक विष्णु स्मरण की निरंतरता और उसकी महत्ता को बखान करता है।

८३. श्लोक: “सूर्यस्य तेजसा सर्वं, प्रातः स्मरेद्विभावसोः”
अर्थ: सुबह सूर्य के तेज से सब कुछ स्मरण करें।
व्याख्या: इस श्लोक में सूर्य की महत्ता और उसके तेज का स्मरण करने के लाभ को बताया गया है।

८४. श्लोक: “प्रातः स्मरणं शंभोः, शिवस्य च शाश्वतम्”
अर्थ: सुबह शंभू और शिव का शाश्वत स्मरण करें।
व्याख्या: इस श्लोक में शिव के शाश्वत स्मरण की महत्ता को बताया गया है।

८५. श्लोक: “प्रभाते स्मरेत् लक्ष्म्याः, करारविन्दे सदाऽर्चनम्”
अर्थ: सुबह लक्ष्मी के करारविन्द का स्मरण और अर्चन करें।
व्याख्या: इस श्लोक में लक्ष्मी की अराधना और उनके हाथों का स्मरण करने की महत्ता को बताया गया है।

८६. श्लोक: “प्रातः स्मरेद् गुणानां, विष्णोः स्तुतिं सदाऽर्चयेत्”
अर्थ: सुबह विष्णु के गुणों का स्मरण और स्तुति करें।
व्याख्या: यह श्लोक विष्णु की स्तुति और उनके गुणों का स्मरण करने की महत्ता को दर्शाता है।

८७. श्लोक: “प्रभाते स्मरेत् नारायणं, विष्णुं च शाश्वतम्”
अर्थ: सुबह नारायण और विष्णु का शाश्वत स्मरण करें।
व्याख्या: इस श्लोक में नारायण और विष्णु का शाश्वत स्मरण करने की महत्ता को बताया गया है।

८८. श्लोक: “प्रातः स्मरति यः काले, नारायणस्य पदं सदा”
अर्थ: जो सुबह नारायण के चरणों का स्मरण करता है।
व्याख्या: यह श्लोक नारायण के चरणों का स्मरण करने की महत्ता को बताता है।

८९. श्लोक: “स्मरेत् प्रातः सदा विष्णोः, चरणाम्बुजं हृदि”
अर्थ: सुबह विष्णु के चरणों का हृदय में स्मरण करें।
व्याख्या: विष्णु के चरणों का स्मरण और उसकी महत्ता का वर्णन इस श्लोक में किया गया है।

९०. श्लोक: “प्रभाते स्मरेत् लक्ष्मीं, करारविन्दे सदा”
अर्थ: सुबह लक्ष्मी के करारविन्द का स्मरण करें।
व्याख्या: यह श्लोक लक्ष्मी के करारविन्द के स्मरण और उसकी महत्ता को दर्शाता है।

९१. श्लोक: “प्रातः स्मरेत् गुणानां, विष्णोः स्तुतिं सदा”
अर्थ: सुबह विष्णु के गुणों का स्मरण और स्तुति करें।
व्याख्या: इस श्लोक में विष्णु के गुणों का स्मरण और स्तुति करने की महत्ता को बताया गया है।

९२. श्लोक: “प्रातः स्मरेद् गुणानां, लक्ष्म्याः स्तुतिं सदा”
अर्थ: सुबह लक्ष्मी के गुणों का स्मरण और स्तुति करें।
व्याख्या: यह श्लोक लक्ष्मी के गुणों का स्मरण और स्तुति करने की महत्ता को दर्शाता है।

९३. श्लोक: “प्रभाते स्मरेत् नारायणं, विष्णुं च शाश्वतम्”
अर्थ: सुबह नारायण और विष्णु का शाश्वत स्मरण करें।
व्याख्या: इस श्लोक में नारायण और विष्णु का शाश्वत स्मरण करने की महत्ता को बताया गया है।

९४. श्लोक: “प्रातः स्मरति यः काले, नारायणस्य पदं सदा”
अर्थ: जो सुबह नारायण के चरणों का स्मरण करता है।
व्याख्या: यह श्लोक नारायण के चरणों का स्मरण करने की महत्ता को बताता है।

९५. श्लोक: “स्मरेत् प्रातः सदा विष्णोः, चरणाम्बुजं हृदि”
अर्थ: सुबह विष्णु के चरणों का हृदय में स्मरण करें।
व्याख्या: विष्णु के चरणों का स्मरण और उसकी महत्ता का वर्णन इस श्लोक में किया गया है।

९६. श्लोक: “प्रभाते स्मरेत् लक्ष्मीं, करारविन्दे सदा”
अर्थ: सुबह लक्ष्मी के करारविन्द का स्मरण करें।
व्याख्या: यह श्लोक लक्ष्मी के करारविन्द के स्मरण और उसकी महत्ता को दर्शाता है।

९७. श्लोक: “प्रातः स्मरेत् गुणानां, विष्णोः स्तुतिं सदा”
अर्थ: सुबह विष्णु के गुणों का स्मरण और स्तुति करें।
व्याख्या: इस श्लोक में विष्णु के गुणों का स्मरण और स्तुति करने की महत्ता को बताया गया है।

९८. श्लोक: “प्रातः स्मरेद् गुणानां, लक्ष्म्याः स्तुतिं सदा”
अर्थ: सुबह लक्ष्मी के गुणों का स्मरण और स्तुति करें।
व्याख्या: यह श्लोक लक्ष्मी के गुणों का स्मरण और स्तुति करने की महत्ता को दर्शाता है।

९९. श्लोक: “प्रभाते स्मरेत् नारायणं, विष्णुं च शाश्वतम्”
अर्थ: सुबह नारायण और विष्णु का शाश्वत स्मरण करें।
व्याख्या: इस श्लोक में नारायण और विष्णु का शाश्वत स्मरण करने की महत्ता को बताया गया है।

१००. श्लोक: “प्रातः स्मरति यः काले, नारायणस्य पदं सदा”
अर्थ: जो सुबह नारायण के चरणों का स्मरण करता है।
व्याख्या: यह श्लोक नारायण के चरणों का स्मरण करने की महत्ता को बताता है।

सुप्रभात श्लोकों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

सुप्रभात संस्कृत श्लोकों का नियमित उच्चारण हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर अत्यंत सकारात्मक प्रभाव डालता है। इन श्लोकों का उच्चारण न केवल हमारे मन को शांति प्रदान करता है, बल्कि हमारे शरीर को भी स्वस्थ रखता है। जब हम सुबह के समय सुप्रभात श्लोकों का उच्चारण करते हैं, तो यह हमारी मानसिक स्थिति को स्थिर और संतुलित करता है।

मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से, सुप्रभात संस्कृत श्लोकों का नियमित अभ्यास मन को ध्यान और एकाग्रता में वृद्धि करने में सहायक होता है। यह हमारी भावनाओं को नियंत्रित करने में भी मदद करता है, जिससे मानसिक तनाव और चिंता में कमी आती है। श्लोकों का उच्चारण ध्यान की क्रिया को प्रेरित करता है, जिससे मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सुप्रभात श्लोकों का उच्चारण महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। श्लोकों का उच्चारण करते समय हमारी श्वास प्रक्रिया नियंत्रित होती है, जिससे श्वसन तंत्र में सुधार होता है और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।

सुप्रभात श्लोकों का नियमित उच्चारण मन और शरीर के बीच एक सामंजस्य स्थापित करता है। यह हमें दिन की शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह के साथ करने में मदद करता है। सुप्रभात संस्कृत श्लोकों का उच्चारण न केवल एक आध्यात्मिक अभ्यास है, बल्कि यह हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को भी सुदृढ़ बनाता है।

सुप्रभात संस्कृत श्लोकों को अपने जीवन में कैसे शामिल करें

सुप्रभात संस्कृत श्लोकों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करना आपके दिन की शुरुआत को सकारात्मक और शुभ बना सकता है। सबसे पहले, श्लोकों का सही उच्चारण और समय बहुत महत्वपूर्ण है। सुबह के समय, जब वातावरण शुद्ध और शांत होता है, सुप्रभात संस्कृत श्लोक उच्चारित करना अत्यधिक लाभकारी होता है। यह न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि आपके मन को भी सकारात्मकता से भर देता है।

श्लोकों का उच्चारण करते समय ध्यान रखें कि आप एक शांत और स्थिर स्थान पर हों। यह स्थान आपके घर का कोई कोना, बगीचा या मंदिर हो सकता है। अपनी आँखें बंद करके, श्लोकों का उच्चारण धीरे-धीरे और स्पष्टता के साथ करें। इस प्रक्रिया में ध्यान केंद्रित करने और सांसों को नियंत्रित करने से आप अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, आप सुप्रभात संस्कृत श्लोकों को अपनी प्रार्थना दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। अपने दैनिक पूजा के समय में इन श्लोकों का पाठ करें। यह आपके धार्मिक अनुष्ठानों को और भी अधिक भावनात्मक और आध्यात्मिक बना देगा। बच्चों को भी इन श्लोकों का महत्त्व बताएं और उन्हें भी इस अभ्यास में शामिल करें।

अगर आपके पास समय की कमी है, तो आप इन श्लोकों को लिखकर अपने कार्यस्थल या घर के विभिन्न स्थानों पर चिपका सकते हैं। इससे आपको बार-बार इन्हें पढ़ने और स्मरण करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर इन श्लोकों को सेव कर सकते हैं और दिन में कई बार उन्हें देख सकते हैं।

इस प्रकार, सुप्रभात संस्कृत श्लोकों को अपने जीवन में शामिल करने के कई तरीके हैं, जो आपके दिन की शुरुआत को सकारात्मकता और ऊर्जा से भर सकते हैं।

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राज पिछले 20 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं। Founder Of Moonfires.com
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