महज़बीन बानो – टुकड़े-टुकड़े दिन बीता

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली रिमझिम-रिमझिम बूँदों में, ज़हर भी है…

Stay Connected

Find us on socials

Latest News

Explore the Blog