प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। गीता जयंती के दिन पूजा और उपवास करने का विधान है। विश्व का एक इकलौता ग्रंथ है श्रीमद भगवत गीता, जिसकी जयंती मनाई जाती है। यही कारण है कि गीता ग्रंथ का जन्म भगवान श्रीकृष्ण के मुख से हुआ है। बता दें कि गीता में वर्णित सभी श्लोक श्रीकृष्ण के मुख से निकले हैं। इसलिए गीता जयंती मनाई जाती है।
शुभ मुहूर्त
दैनिक पंचांग के अनुसार, इस बार गीता जयंती 22 दिसंबर को है। मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत सुबह 08 बजकर 16 मिनट पर होगी और इसके अगले दिन यानि 23 दिसंबर को प्रातः काल 07 बजकर 11 मिनट पर तिथि का समापन होगा।

गीता के श्लोक
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः।।
श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
गीता जयंती क्यों मनाया जाता है?
क्यों मनाई जाती है गीता जयंती? श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया का इकलौता ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि गीता का जन्म स्वंय भगवान श्री कृष्ण के मुख से हुआ है। गीता में वर्णित एक-एक श्लोक भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकले हैं, इसलिए गीता जयंती मनाई जाती है।
कब शुरू हुई थी?
र्यभट्ट की गणना अनुसार गीता का ज्ञान 5157 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। गीता केज् ज्ञान की इस वर्ष 5157वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। कहां प्रकट हुआ था गीता का ज्ञान : हरियाणा के कुरुक्षेत्र में जब यह ज्ञान दिया गया तब तिथि एकादशी थी।
क्या करना चाहिए?
भगवान कृष्ण को समर्पित इस्कॉन मंदिर और मंदिर कृष्ण भजन, प्रार्थना और पूजा के साथ इस दिन का आनंद मनाते हैं। भारत और विदेश से अनुयायी गीता जयंती पर पवित्र तालाबों में डुबकी लगाने के लिए कुरुक्षेत्र आते हैं। वे भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और आरती करते हैं।
घर पर कैसे मनाएं?
एकादशी व्रत से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को दोपहर में सिर्फ एक बार भोजन करना होता है . और याद रखें कि दशमी के दिन रात्रि में कुछ भी भोजन न करके व्रत का संकल्प लें। -एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और पवित्र मन से संकल्पपूर्वक व्रत करें।
गीता से क्या ज्ञान मिलता है?
गीता का उपदेश अत्यन्त पुरातन योग है। श्री भगवान् कहते हैं इसे मैंने सबसे पहले सूर्य से कहा था। सूर्य ज्ञान का प्रतीक है अतः श्री भगवान् के वचनों का तात्पर्य है कि पृथ्वी उत्पत्ति से पहले भी अनेक स्वरूप अनुसंधान करने वाले भक्तों को यह ज्ञान दे चुका हूँ। यह ईश्वरीय वाणी है जिसमें सम्पूर्ण जीवन का सार है एवं आधार है।


If you want to use your preferred UPI app, our UPI ID is raj0nly@UPI (you can also scan the QR Code below to make a payment to this ID.