विश्वभर में कितने तरह की रामायण हैं – विश्वभर में रामायण की संख्या सैकड़ों तक पहुंच जाती है। रामायण एक ऐसी महाकाव्य है जो सदियों से लोगों को प्रेरित करती रही है। यह एक आदर्श नायक की कहानी है, जो सत्य, न्याय और धर्म के लिए संघर्ष करता है। रामायण की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और वे हमें एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करती हैं।
इनमें से कुछ मुख्य रामायण इस प्रकार हैं:
- वाल्मीकि रामायण – यह संस्कृत भाषा में लिखी गई सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध रामायण है। इसे महर्षि वाल्मीकि ने लिखा था।
- कम्ब रामायण – यह तमिल भाषा में लिखी गई रामायण है। इसे कम्बन ने लिखा था।
- तुलसीदास रामायण – यह अवधी भाषा में लिखी गई रामायण है। इसे तुलसीदास ने लिखा था।
- ककबिन रामायण – यह बाली भाषा में लिखी गई रामायण है।
- रामकियेन – यह थाई भाषा में लिखी गई रामायण है।
- रामकेलिंग – यह जावा भाषा में लिखी गई रामायण है।
- रामचरितम् – यह बंगाली भाषा में लिखी गई रामायण है।
इन रामायणों के अलावा भी कई अन्य रामायण हैं, जिनमें से कुछ लोककथाओं के रूप में प्रचलित हैं। इन रामायणों में रामकथा के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गया है। कुछ रामायणों में राम के चरित्रों को अधिक मानवीय रूप में प्रस्तुत किया गया है, जबकि अन्य में उन्हें देवता के रूप में दिखाया गया है।
अध्यात्म रामायण
कहते हैं हरि अनंत, हरि कथा अनंता। सर्वप्रथम श्रीराम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वतीजी को सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया। उसी कौवे का पुनर्जन्म कागभुशुण्डि के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि को पूर्व जन्म में भगवान शंकर के मुख से सुनी वह रामकथा पूरी की पूरी याद थी। उन्होंने यह कथा अपने शिष्यों को सुनाई। इस प्रकार रामकथा का प्रचार-प्रसार हुआ। भगवान शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा अध्यात्म रामायण के नाम से विख्यात है। अध्यात्म रामायण को ही विश्व की सर्वप्रथम रामायण माना जाता है, जिसमें 4200 श्लोक हैं।
वाल्मीकि रामायण
वाल्मीकि रामायण
रामायण वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके 24,000 श्लोक हिन्दू स्मृति का वह अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा कही गयी। रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। रामायण का समय त्रेतायुग का माना जाता है। महर्षि वाल्मीकि के द्वारा श्लोकबद्ध भगवान श्री राम की कथा को वाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है।
श्रीरामचरित मानस
श्रीरामचरित मानस को गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा है। जिनका जन्म संवत् 1554 में हुआ था। गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस की रचना अवधी भाषा में की। तुलसीदास रचित रामचरितमानस (Ramcharitmanas in Hindi) में चोपाई की संख्या 9388 हे, दोहे की संख्या 1172 हे, सोरठ की संख्या 87 मालती हे, मंत्र की संख्या 47 हे और छंद की संख्या 208 हे। इस ग्रंथ में तुलसीदास जी द्वारा 7 काण्डों में विभाजित किया गया हे।
1 ) बालकाण्ड
2 ) अयोध्याकाण्ड
3 ) अरण्यकाण्ड
4 ) किष्किन्धाकाण्ड
5 ) सुन्दरकाण्ड
6 ) लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड)
7 ) उत्तरकांड
कंब रामायण
रामावतारम् या कंब रामायण। कंब रामायण की रचना चोल सम्राट कुलोतुंग द्वितीय के दरबारी कवि कंबन ने की थी, जिन्हें कविचक्रवर्ती की उपाधि से सम्मानित किया गया था। कंब रामायण तमिल साहित्य का सबसे बड़ा ग्रन्थ है, इसमें 10,000 पद्य तथा 6 कांड हैं। यह रामायण श्रीराम के राज्याभिषेक पर समाप्त हो जाती है तथा इसे रामावताराम भी कहते हैं।
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अन्य भारतीय रामायण
अन्य भारतीय रामायण
तमिल भाषा में कम्बन रामायण, असम में असमी रामायण, उड़िया में विलंका रामायण, कन्नड़ में पंप रामायण, कश्मीर में कश्मीरी रामायण, बंगाली में रामायण पांचाली, मराठी में भावार्थ रामायण आदि भारतीय भाषाओं में प्राचीनकाल में ही रामायण लिखी गईं।
कंपूचिया की रामकेर्ति या रिआमकेर रामायण, लाओस फ्रलक-फ्रलाम (रामजातक), मलेशिया की हिकायत सेरीराम, थाईलैंड की रामकियेन और नेपाल में भानुभक्त कृत रामायण आदि प्रचलित हैं। इसके अलावा भी अन्य कई देशों में वहां की भाषा में रामायण लिखी गई हैं।
दुनियाभर में 300 से ज्यादा रामायण प्रचलित हैं। उनमें वाल्मीकि रामायण, कंबन रामायण और रामचरित मानस, अद्भुत रामायण, अध्यात्म रामायण और आनंद रामायण की चर्चा ज्यादा होती है। उक्त रामायण का अध्ययन करने पर हमें रामकथा से जुड़े कई नए तथ्यों की जानकारी मिलती है।
अयोध्या विद्रोह अध्याय 5 – 1950: संवैधानिक अंगीकरण और धार्मिक पहुंच
१. विश्वभर में कितने तरह की रामायण हैं ?
आज दुनियाभर में 300 से ज्यादा रामायण प्रचलित हैं।
२. रामायण का पुराना नाम क्या है?
“रामायण” का पुराणा नाम “वाल्मीकि रामायण” है। इसे वाल्मीकि महर्षि ने लिखा था और यह हिन्दू धर्म के प्रमुख स्मृति ग्रंथों में से एक है। “वाल्मीकि रामायण” कथा के रूप में भारतीय साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह हिन्दू धर्म के एक प्रमुख ऐतिहासिक काव्य के रूप में माना जाता है।