कृषि में क्रांति : कृषि का कायाकल्प करेंगे ड्रोन – भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की लगभग 58% आबादी कृषि पर निर्भर है। लेकिन, कृषि क्षेत्र में अभी भी कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें कम उत्पादकता, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, और श्रम की कमी शामिल हैं। इन चुनौतियों को दूर करने में ड्रोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
१. भारत में ड्रोन तकनीक का भविष्य क्या है?
भारत में ड्रोन प्रौद्योगिकी के सबसे आशाजनक पहलुओं में से एक इसकी रोजगार पैदा करने की क्षमता है। ड्रोन उद्योग से ड्रोन ऑपरेटरों और तकनीशियनों से लेकर सॉफ्टवेयर डेवलपर्स और डेटा विश्लेषकों तक रोजगार के व्यापक अवसर प्रदान करने की उम्मीद है।
२. ड्रोन कैसे बदल रहे हैं कृषि का भविष्य?
कृषि में ड्रोन का उपयोग लड़ाई में भी किया जा रहा है – उस मामले में उपज-लूटने वाले कीटों (कीड़े, खरपतवार, बीमारियों) के खिलाफ। लेकिन ड्रोन फसलों के विकास को ट्रैक करने और पोषक तत्वों की कमी की पहचान करने की क्षमता को नाटकीय रूप से बढ़ाने का एक तरीका भी है। यह सारी जानकारी तब प्रमुख कृषि प्रबंधन निर्णयों का मार्गदर्शन कर सकती है।
३. क्या कृषि में ड्रोन का उपयोग किया जाता है?
कृषि ड्रोन किसानों को संभावित समस्याओं पर नजर रखने और क्षेत्र प्रबंधन को अनुकूलित करने में मदद करने के लिए हवा से फसल और पशुधन की स्थिति की निगरानी करने की अनुमति देते हैं।
४. भारत में ड्रोन कौन सी कंपनी बनाती है?
शेयर बाजार में लिस्टेड जो कंपनियां ड्रोन बनाती हैं, उनमें इन्फो एज, भारत फोर्ज, पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, जेन टेक्नोलॉजीज, ड्रोनआचार्य एरियल इनोवेशन, रतनइंडिया एंटरप्राइजेज लिमिटेड, डीसीएम श्रीराम लिमिटेड और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड शामिल हैं।
५. किसान ड्रोन योजना क्या है?
कृषि प्रशिक्षण संस्थानों एवं कृषि विश्वविद्यालयों ड्रोन की खरीद पर 100% तक या 10 लाख रुपये तक अनुदान मिलेगा. कृषि उत्पादक संगठनों को ड्रोन की खरीद पर 75% तक अनुदान दिया जाएगा. कृषि से स्नातक युवा, SC/ST वर्ग और महिला किसान को 50% तक या 5 लाख रुपये तक अनुदान मिलेगा.
ड्रोन का उपयोग कृषि में कई तरह से किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- फसलों की निगरानी और प्रबंधन: ड्रोन का उपयोग फसलों की निगरानी और प्रबंधन के लिए किया जा सकता है। ड्रोन से फसलों की स्थिति, रोगों और कीटों के प्रकोप का पता लगाया जा सकता है। इससे किसानों को समय पर कार्रवाई करने में मदद मिलती है, जिससे फसलों की उत्पादकता में सुधार होता है।
- फसलों की सिंचाई: ड्रोन का उपयोग फसलों की सिंचाई के लिए भी किया जा सकता है। ड्रोन से फसलों की सिंचाई को अधिक सटीक और कुशल बनाया जा सकता है। इससे पानी की बचत होती है और फसलों को अधिक पानी मिलता है।
- फसलों की बुवाई और कटाई: ड्रोन का उपयोग फसलों की बुवाई और कटाई के लिए भी किया जा सकता है। ड्रोन से फसलों की बुवाई और कटाई को अधिक तेज और कुशल बनाया जा सकता है। इससे किसानों की श्रम की लागत कम होती है।
भारत में ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग कृषि में तेजी से बढ़ रहा है। भारत सरकार भी ड्रोन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चला रही है। सरकार का मानना है कि ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग करके कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और लाभप्रदता में सुधार किया जा सकता है।
ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग से भारत में कृषि क्षेत्र की सूरत बदल सकती है। ड्रोन से कृषि क्षेत्र को अधिक आधुनिक, कुशल और लाभदायक बनाया जा सकता है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।
ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग से कृषि क्षेत्र में होने वाले लाभ:
- फसलों की उत्पादकता में वृद्धि: ड्रोन से फसलों की निगरानी और प्रबंधन को अधिक सटीक और कुशल बनाया जा सकता है। इससे फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है।
- पानी की बचत: ड्रोन से फसलों की सिंचाई को अधिक सटीक और कुशल बनाया जा सकता है। इससे पानी की बचत होती है।
- श्रम की लागत में कमी: ड्रोन से फसलों की बुवाई और कटाई को अधिक तेज और कुशल बनाया जा सकता है। इससे किसानों की श्रम की लागत कम होती है।
- खाद्य सुरक्षा में सुधार: ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग करके कृषि क्षेत्र को अधिक आधुनिक और कुशल बनाया जा सकता है। इससे देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।
ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग में आने वाली चुनौतियाँ:
- कानूनी ढाँचा: भारत में ड्रोन के उपयोग के लिए अभी भी कोई स्पष्ट कानूनी ढाँचा नहीं है। इससे ड्रोन के उपयोग में कुछ चुनौतियाँ आ रही हैं।
- प्रौद्योगिकी की लागत: ड्रोन प्रौद्योगिकी अभी भी अपेक्षाकृत महंगी है। इससे छोटे किसानों के लिए ड्रोन के उपयोग में कुछ चुनौतियाँ आ रही हैं।
- प्रशिक्षण की कमी: ड्रोन का उपयोग करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। लेकिन, भारत में अभी भी ड्रोन के उपयोग के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। सरकार को ड्रोन के उपयोग के लिए एक स्पष्ट कानूनी ढाँचा बनाने की आवश्यकता है। साथ ही, सरकार को ड्रोन प्रौद्योगिकी की लागत को कम करने के लिए सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। निजी क्षेत्र को ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए आगे आना चाहिए।
इन प्रयासों से भारत में ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग तेजी से बढ़ेगा और कृषि क्षेत्र की सूरत बदलेगी।