कलयुग क्या है? कलयुग कब शुरू हुआ ? हिन्दू धर्म के अनुसार चारो युगो के अंतिम युग को कलयुग कहा गया है। यह एक काला युग है जिसका मतलब है कलेश/अंधकार का युग जहा चारो तरफ बस अहंकार, प्रतिशोध, लालच और आतंक है। कलयुग को कुछ लोग एक श्राप भी मानते है।
भगवान ने कलयुग क्यों बनाया
परिवर्तन ही इस धरती का नियम है, भगवान ने तो बस एक खूबसूरत सृष्टि बनाई थी। निर्माण हमेशा नए का होता है पुराने का नहीं, हमेशा से कोई भी चीज़ नई नहीं रहती उसका पुराना होना तय है, चाहे वो इंसान हो, या कोई वास्तु या फिर सृष्टि ही क्यों न हो भगवान ने तो सतयुग का निर्माण किया था परन्तु मनुष्य के लोभ, लालच बुरे विचारो नकारात्मक सोच ने उसको यहाँ ला के खड़ा कर दिया।
कलयुग की शुरुआत कैसे हुई
मान्यता के अनुसार कलयुग की शुरुआत श्री कृष्ण के धरती लोक से अपने देह को त्याग कर वैकुण्ठ धाम जाने के बाद ही हो गयी थी। माना जाता है की उस वक़्त द्वापर युग समाप्त हो गया और कलयुग धरती पर अपने पैर पसारने लग गया। इससे सम्बन्धित हमारे सनातन ग्रंथो में कलयुग और राजा परीक्षित की एक कहानी भी प्रचलित है। चलिए आपको वो कहानी बताते है –
कलयुग की कथा
पुराणों में वर्णित है की श्री कृष्ण के वैकुण्ठ धाम जाने के बाद पांडवो का मन भी धरती पर नहीं लग रहा था तो उन्होंने अपने प्राणो को त्याग कर मोक्ष प्राप्ति के लिए हिमालय जाने का फैसला किया और अपना सारा राज-पाठ परीक्षित को सौंप दिया और द्रोपदी के साथ पांचो भाई हिमालय चले गए।
पांडवो के यात्रा पर जाते ही राजा परीक्षित ने पूरी ईमानदारी के साथ अपना राज-पाठ संभाला उनके राज से प्रजा काफी खुश थी। वही दूसरी तरफ सरस्वती नदी के किनारे धरती माता गाय के रूप में बैठी थी और उनकी आँखों में आँसू थे यह देख वह पर धर्म रूप में बैल आये और पृथ्वी देवी से पूछने लगे की तुम इसलिए रो रही हो क्योंकि मेरा सिर्फ एक ही पैर शेष है।
या फिर इसलिए की तुम्हारे ऊपर अब बुराई ने पैर पसार लिए है। यह बात सुनके धरती माता बोली हे, धर्म तुम सब कुछ जानते हो फिर भी मुझसे क्यों पूछ रहे हो। पहले मेरे ऊपर श्री कृष्ण के दिव्य चरण पड़ते थे जिससे में भी अपने आप को भाग्यशाली समझती थी।
लेकिन अब श्री कृष्ण के वैकुण्ठ जाने के बाद कलयुग ने मुझपर कब्ज़ा कर लिया है अब मेरा सौभाग्य समाप्त हो गया है। धर्म रुपी बैल और धरती माता के रूप में गाय आपस में बाते कर ही रहे थे, इतने में वहां असुर के भेष में कलयुग आया और दोनों को मारने लगा। उस दिन राजा परीक्षित अपने राज्य में भर्मण कर रहे थे और वह उसी जगह पहुंचे जहा कलयुग गाय और बैल को मार रहा था।
दिव्य दृष्टि होने के कारण राजा परीक्षित ये जान गए की कलयुग धरती माता और धर्म को मार रहा है यह देख राजा परीक्षित को काफी क्रोध आया और उन्होंने कलयुग से कहा की तू मेरे राज्य में ऐसा पाप कर रहा है अभी में तुझे मृत्यु दंड देता हु। यह कहकर राजा परीक्षित ने अपनी तलवार निकली और कलयुग की तरफ उसको मारने के लिए बड़े।
जैसे ही कलयुग ने देखा की राजा परीक्षित उसका अंत कर देंगे उसने अपने सभी आभूषण मुकुट उतारा और राजा परीक्षित के कदमो में आकर छमा मांगने लगा। यह देख राजा ने कलयुग को छमा दान दे दिया और चेतावनी देते हुए कहा की तू दरिद्रता, अधर्म, पाप, और कपट आदि का प्रथम अमूल कारण है मेरे राज्य से निकल जा कहि और जाकर वास कर और फिर लौट कर कभी मत आना।
कलयुग ने जैसे की ये बात सुनी तो उसने अपनी चालाकी दिखाते हुए कहा हे, राजन ऐसी कोई जगह ही नहीं है इस धरती पर जहा आपका राज न हो मुझे अपने राज में कोई भी जगह दे दीजिये में वही वास करूंगा अन्य कही नहीं। यह बात सुन राजा परीक्षित उस पापी की चालाकी में आ गए और उन्होंने कलयुग से कहा।
जहा भी असत्य, काम, कलेश होगा वह तेरा वास होगा तू वही रहेगा। यह सुन कलयुग ने फिर अपनी चालाकी दिखाई और कहा हे, राजन ये जगह मेरे लिए काफी नहीं है आप मुझे और स्थान भी प्रदान करे। ये बात सुन राजा परीक्षित ने विचार किया और कलयुग को स्वर्ण में वास करने की अनुमति दे दी।
स्थान मिलने के बाद कलयुग वह से चला गया और कुछ दूर जाने के बाद अदृश्य रूप में वापस आकर राजा परीक्षित के स्वर्ण से बने मुकुट पर विराजमान हो गया और व्ही वास करने लगा। और इस प्रकार कलयुग का आगमन धरती पर हुआ।
कलयुग कब से प्रारंभ हुआ
भगवान कृष्ण के देह त्याग देने के बाद से ही कलयुग का प्रारंभ हो गया था। आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत के युद्ध के 35 साल के बाद भगवान कृष्ण ने अपना देह त्याग दिया था। महाभारत युद्ध 3136 ई.पू में हुआ यानी श्री कृष्ण ने अपना देह 3102 ई.पू में त्याग दिया तभी से कलयुग की शुरुआत हुई।
अभी कलयुग का कौन सा चरण चल रहा है
सतयुग – मानव के 17,28,000 वर्ष तक रहा।
त्रेतायुग – मानव के 12,96,000 वर्ष तक रहा।
द्वापरयुग – मानव के 8,64,000 वर्ष तक रहा।
कलयुग – मानव के 4,32,000 वर्ष तक चलेगा।
इस समय कलयुग को 5123 वर्ष हो चुके है और 5124 वा वर्ष कलयुग का चल रहा है, इस हिसाब से कलयुग अभी प्रथम चरण में है। अभी कलयुग के 4,26,877 वर्ष शेष है।
जब कलयुग अपने शीर्ष पर होगा तब क्या होगा
जब कलयुग का अंतिम चरण होगा चारो और मरण होगा हाहाकार होगी। एक जीव दूसरे जीव को नोच के खाएंगे। सारी पवित्र नदिया सुख कर अपने लोक चली जाएंगी।
तब भगवान श्री हरी अपने दसवे अवतार कल्कि अवतार में धरती पर जन्म लेंगे। वह अपने लम्बे से घोड़े में बैठ कर और अपनी तलवार से सभी बुरी शक्तियों पापियों का अंत कर देंगे और धर्म की फिर से स्थापना करंगे।
रामचरितमानस – मंगल भवन अमंगल हारी – अर्थ सहित
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