शनि जयंती 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि और उपाय

शनि जयंती क्या है?
हिंदू धर्म में शनि जयंती का विशेष महत्व है। यह पर्व ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, जिसे शनिदेव का जन्मदिन माना जाता है। शनिदेव को न्याय के देवता और कर्मफल दाता के रूप में पूजा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनिदेव भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। इस दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
शनि जयंती 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष शनि जयंती 27 मई 2025 (मंगलवार) को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत और समापन निम्नलिखित है:
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 26 मई 2025, दोपहर 12:11 बजे
- अमावस्या तिथि समापन: 27 मई 2025, सुबह 8:31 बजे
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:51 बजे से 12:46 बजे तक
- सुकर्मा योग: 27 मई 2025, रात 10:54 बजे तक
उदयकालिक तिथि के आधार पर 27 मई को शनि जयंती मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9:01 बजे से 10:40 बजे तक रहेगा।
विशेष संयोग
इस वर्ष शनि जयंती मंगलवार को पड़ रही है, जो हनुमान जी की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। साथ ही, सर्वार्थ सिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग, और मालव्य राजयोग का निर्माण हो रहा है, जो इस दिन को और भी शक्तिशाली बनाता है।
शनि जयंती का महत्व
शनिदेव को नवग्रहों में सबसे धीमी चाल वाला ग्रह माना जाता है, जिसके कारण उन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है। वे व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। शनि जयंती का दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से प्रभावित हैं। इस दिन पूजा, दान, और उपाय करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनिदेव का जन्म सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के गर्भ से हुआ था। सूर्य देव की पहली पत्नी संज्ञा उनके तेज को सहन नहीं कर पाईं और अपनी छाया (संवर्णा) को सूर्य के पास छोड़कर तप करने चली गईं। छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म हुआ। सूर्य ने पहले उन्हें अपना पुत्र स्वीकार नहीं किया, जिससे शनिदेव क्रुद्ध हो गए और उनकी दृष्टि से सूर्य काले पड़ गए। बाद में भगवान शिव के हस्तक्षेप से सूर्य ने छाया से क्षमा मांगी और शनिदेव को स्वीकार किया।
शनि जयंती पूजा विधि
शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा विधि-विधान से करने से विशेष लाभ मिलता है। निम्नलिखित है पूजा की विधि:
- प्रातः स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल की तैयारी: एक चौकी पर काला कपड़ा बिछाकर शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- अभिषेक: शनिदेव की मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण) से अभिषेक करें। इसके बाद सरसों के तेल से तैलाभिषेक करें।
- पूजा सामग्री: नीले फूल, काले तिल, अक्षत, धूप, दीप, और इमरती या मिठाई का भोग लगाएं।
- मंत्र जाप: शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें। शनि चालीसा, शनि स्तोत्र, या दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।
- आरती: सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनिदेव की आरती करें।
- हनुमान पूजा: शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें, क्योंकि हनुमान जी की पूजा से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
- दान-पुण्य: पूजा के बाद काले तिल, काली उड़द, काले वस्त्र, जूते-चप्पल, छाता, या लोहे की वस्तुओं का दान करें।
शनि जयंती के उपाय
शनि जयंती पर निम्नलिखित उपाय करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और साढ़ेसाती व ढैय्या के प्रभाव कम होते हैं:
- छाया दान: शनि मंदिर में सरसों का तेल एक लोहे के कटोरे में भरें, उसमें अपनी छवि देखें, और उसे किसी गरीब को दान करें।
- पीपल पूजा: पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें और सायंकाल में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- हनुमान पूजा: हनुमान मंदिर में चमेली के तेल का दीपक जलाएं और बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ करें।
- दान: काले तिल, काली उड़द, काले वस्त्र, या लोहे की वस्तुओं का दान करें।
- मंत्र जाप: शनि बीज मंत्र “ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें।
- व्रत: शनि जयंती पर व्रत रखें और सात्विक भोजन करें। मांस, मदिरा, और तामसिक भोजन से बचें।
शनि जयंती और ज्योतिषीय प्रभाव
शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव विभिन्न राशियों पर पड़ता है। 2025 में, शनि मीन राशि में रहेंगे, जिससे मकर, कुंभ, और मीन राशियों पर साढ़ेसाती और कर्क व वृश्चिक राशियों पर ढैय्या का प्रभाव रहेगा। शनि जयंती पर पूजा और उपाय करने से इन प्रभावों को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, इस वर्ष सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में गोचर वृषभ, सिंह, और मकर राशियों के लिए शुभ फल देगा।
शनि जयंती पर क्या न करें?
शनि जयंती पर कुछ कार्यों से बचना चाहिए ताकि शनिदेव नाराज न हों:
- तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, या लहसुन-प्याज से परहेज करें।
- पुराना या गंदा तेल शनिदेव को अर्पित न करें।
- किसी का अपमान या गरीबों के साथ दुर्व्यवहार न करें।
- लोहे की वस्तुओं को खरीदने से बचें।
निष्कर्ष
शनि जयंती एक ऐसा पवित्र दिन है जो भक्तों को शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा, दान, और उपाय करने से न केवल शनि दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। यदि आप शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से प्रभावित हैं, तो यह दिन आपके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
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