पहलगाम हमले का पाकिस्तानी मास्टरमाइंड ऑपरेशन महादेव में ढेर!
श्रीनगर, 28 जुलाई 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए क्रूर आतंकी हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा उर्फ सुलैमान शाह को भारतीय सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन महादेव के तहत श्रीनगर के पास दाचीगाम जंगल में मार गिराया। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक, महिलाएं और बच्चे शामिल थे। इस ऑपरेशन में सुलैमान शाह के साथ दो अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी, अबू हमजा और यासिर, भी मारे गए। यह कार्रवाई भारतीय सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त रूप से अंजाम दी।
ऑपरेशन महादेव: एक सफल कार्रवाई
ऑपरेशन महादेव एक अत्यंत योजनाबद्ध और गुप्त कार्रवाई थी, जो पिछले 14 दिनों से चल रही थी। भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स ने दाचीगाम जंगल में संदिग्ध संदेशवहन की जानकारी मिलने के बाद इस मिशन को शुरू किया। स्थानीय भटकने वाली जनजातियों से मिली सूचना और खुफिया एजेंसियों द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार पर सुरक्षा बलों ने इन आतंकवादियों का पीछा किया। सोमवार सुबह 11:30 बजे, 24 राष्ट्रीय राइफल्स और 4 पैरा यूनिट के संयुक्त दस्ते ने लिडवास क्षेत्र में तीन आतंकवादियों का पता लगाया और आश्चर्यजनक हमला कर उन्हें मार गिराया।
इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के अस्थायी ठिकाने से 17 ग्रेनेड, एक एम4 कारबाइन और दो एके-47 राइफल्स जब्त किए। इस ऑपरेशन का नाम ‘महादेव’ इसलिए रखा गया, क्योंकि यह कार्रवाई झबारवान और महादेव रिज के बीच हुई।
हाशिम मूसा: कौन था यह आतंकवादी?
हाशिम मूसा, जिसे सुलैमान शाह या मूसा फौजी के नाम से भी जाना जाता था, पाकिस्तान सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) का पूर्व पैरा-कमांडो था। बाद में उसने लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन में शामिल होकर कश्मीर में कई आतंकी हमलों की साजिश रची। पहलगाम हमले के अलावा, उसने 2024 में श्रीनगर-सोनमर्ग राजमार्ग पर जेड-मोर सुरंग निर्माण में शामिल सात मजदूरों की हत्या में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उस पर 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
पहलगाम हमला: एक क्रूर कृत्य
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसारन घाटी में सुलैमान शाह और उसके साथियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर 26 लोगों को मार डाला। इस हमले में आतंकवादियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसके कारण यह हमला पूरे देश में आक्रोश का कारण बना। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत हमले किए, जिसमें सौ से अधिक आतंकवादी मारे गए।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी की भूमिका
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पहलगाम हमले की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने दो स्थानीय लोगों, परवेज अहमद जोथर और बशीर अहमद, को आतंकवादियों को आश्रय देने के आरोप में गिरफ्तार किया। इन दोनों ने आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और लॉजिस्टिक्स प्रदान किया था। इसके अलावा, खुफिया एजेंसियों ने एक चीनी सैटेलाइट फोन के जरिए संदिग्ध कॉल का पता लगाया, जो पहलगाम हमले के बाद से निष्क्रिय था और दो दिन पहले फिर से सक्रिय हुआ था।
सुरक्षा बलों की सराहना
इस सफल कार्रवाई के लिए वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों ने भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की सराहना की है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “न्याय मिल गया है। सीमा पार के आतंकवाद को खत्म करने के भारत के संकल्प को सफलता मिली है।” उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने भी चिनार कॉर्प्स की तेज और सटीक कार्रवाई की प्रशंसा की।
आगे के कदम
वर्तमान में मृत आतंकवादियों की पहचान की पुष्टि की जा रही है। ड्रोन फोटोग्राफी के माध्यम से उनके शवों की तस्वीरें ली जा रही हैं, जिन्हें गिरफ्तार किए गए आश्रयदाताओं को दिखाकर पहचान की जाएगी। ऑपरेशन महादेव अभी भी जारी है, और कुछ अन्य आतंकवादियों के घायल होने की संभावना है। सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में तलाशी अभियान तेज कर दिया है।
निष्कर्ष
ऑपरेशन महादेव भारत के आतंकवाद विरोधी अभियान में एक बड़ी सफलता है। पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड को मारकर सुरक्षा बलों ने देशवासियों को राहत दी है। यह कार्रवाई न केवल आतंकवादियों को कड़ा संदेश देती है, बल्कि भारत की सुरक्षा एजेंसियों की ताकत और दृढ़ संकल्प को भी दर्शाती है।
स्रोत: इंडिया टुडे, न्यूज18, एनडीटीवी, टीवी9 हिंदी



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